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साहित्य

मोटिवेशनल कोट्स: जो बदल दें आपके जीवन की दिशा और दशा

 

फौजिया नसीम शाद

 

इसमें कोई दो राय नहीं है कि हमारे जीवन आ रहे उतार -चढ़ाव ,समस्याओं के समाधान के साथ हमारी सफलता को स्थापित करने में ,हमें हमारे जीवन में कुछ करने की प्रेरणा प्रदान करने व हमारे लक्ष्य प्राप्ति में मोटिवेशनल कोट्स जिन्हें हम हिंदी में उद्धरण के नाम से भी जानते हैं महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं,ये मोटिवेशनल कोट्स हमारे अंदर उत्साह का संचार ही नहीं करते बल्कि ये हमें स्वयं पर विश्वास करना भी सिखाते हैं।

हमारे जीवन में हमारे आत्मविश्वास को बढ़ाने में और हमारा सर्वश्रेष्ठ देने में मोटिवेशनल कोट्स की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता, उपरोक्त लेख में हम मोटिवेशनल कोट्स की उपयोगिता को समझने का प्रयास करेंगे —

जीवन के उतार- चढ़ाव और विपरीत परिस्थितियों में मोटिवेशनल कोट्स सकारात्मक भूमिका निभाते हैं।

मोटिवेशनल कोट्स हताश और जीवन से निराश व्यक्ति में उर्जा,स्फूर्ति व उत्साह का संचार करते हैं।

किसी भी व्यक्ति को विपरीत परिस्थितियों से बाहर निकालने मोटिवेशनल कोट्स महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जाने कुछ ऐसे प्रेरणादायक उदाहरण-

मोटीवेशनल कोट्स हमारे जीवन को सकारात्मक दिशा प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं

सफलता की उम्म्मीद पर विश्वास न करने वाले कभी जीवन में सफलता प्राप्त नहीं कर पाते ,सफलता के लिए सफलता पर विश्वास करना सीखिए।

स्वयं पर विश्वास करना सीखिए क्योकि स्वयं को निर्बल असहाय समझने वाले भी जीवन में कभी सफलता प्राप्त नहीं कर पाते।

जीवन में गलतियां करने से कभी न डरें ,सही मायने में गलतियां करके ही हम जीवन को ठीक ढंग से समझ पाते , मेरा लिखा अशआर भी यहां देखें- सीखने का हुनर नहीं आता, गलतियां हम अगर नहीं करते।

जो लोग स्वयं को नियंत्रित रखने में पूर्णत: सक्षम होते हैं उनके लिए कुछ भी मुश्किल नहीं होता।

अपनी असफलता से कभी न घबराएं क्योंकि असफलता ही सफलता की पहली सीढ़ी होती है।

अपने परिश्रम पर विश्वास करने वाले जीवन में कभी असफलता का मुंह नहीं देखते।

स्वयं में सुधार के छोटे-छोटे प्रयास करते रहे ये आपके व्यक्तिव के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

विपरीत परिस्थितियों से डर कर उनके समक्ष हाथ खड़े कर लेनाआपकी कायरता और आपका स्वयं पर विश्वास न होने की वास्तविकता को स्पष्ट करता है इससे बचे,हिम्मत और हौंसला रखें समय कैसा भी हो गुजऱ जाता है धैर्य के साथ विपरीत परिस्थियों से बाहर निकलने का प्रयास करते रहना चाहिए।

अपने प्रयासों में सफलता के लिए हर पल मोटिवेटेड रहें,आपके ऐसा करने से भी आपका लक्ष्य और आपकी सफलता का मार्ग प्रशस्त रहता है।

विषम परिस्थितियों से घबराकर हमारा उसके समक्ष हाथ खड़े कर देना, स्थिति को और भी गंभीर बनाता है

आधुनिक रेल की वास्तविकता

पंकज शर्मा तरुण
पंकज शर्मा तरुण

भारतीय रेल की वर्तमान तस्वीर कितनी बदली यह किसी से भी छुपा नहीं है। एक समय था जब पूरे देश में छोटी लाइन थी जिसे अंग्रेजों ने बिछाया था इसको मीटर गेज/नेरो गेज कहा जाता था।कोयले से चलने वाले काले रंग के इंजिन हुआ करते थे, जिसे भाप के इंजिन या स्टीम इंजिन कहते थे। जिन युवाओं ने यह नहीं देखे वे सनी देओल की फिल्म गदर टू देखेंगे तो उसमें इस को दिखाया गया है। ट्रेन की बोंगियां इतनी भारी और छोटी होती थी कि कोयले के इंजिन खींच नहीं पाते थे।बुनियादी सुविधाओं का भी अभाव होता था।समय बदलता गया मीटर गेज परिवर्तन किया गया। ब्रॉड गेज रेल लाइन बिछने लगी डीजल के इंजिन आए, डबल लाइन बिछाई गई, बिजली के इंजिन आए, बिजली की लाइन बिछाई गई। बोंगियोंं को आधुनिक सुख सुविधाओं से लैस किया गया, सीटों को आरामदायक बनाया गया।प्लेट फार्म हवाई अड्डे की तरह सर्व सुविधायुक्त बनने लगे।भारतीय रेल आज विश्व स्तर पर अपनी गाथा स्वयं लिख रही है।वंदे भारत, डेमो, मेमो, मेट्रो जैसे अनेक विकल्प आ गए ट्रेनों की गति बढ़ती जा रही है।

 

मगर यहां एक चूक भी हो रही है जिसका जिक्र करना भी अनिवार्य है। मैं पिछले दिनों एक तीर्थ यात्रा पर चलने वाली विशेष ट्रेन से रामेश्वरम गया था, जो इंदौर से शुरू हुई थी। इसमें लगभग एक हजार तीर्थ यात्री थे। आई आर सी टी सी के द्वारा इस यात्रा का संचालन किया जा रहा था ऐसी ट्रेनें बारहों मास चलाई जाती हैं। जिसमें सुबह की चाय नाश्ते से लेकर पेयजल की भी व्यवस्था होती है।साथ ही दोनों समय भोजन की व्यवस्था होती है।यात्रियों को जो भोजन परोसा जाता है उसकी गुणवत्ता की जांच की जाए तो निश्चित रूप से कह सकते हैं कि यह खाना इंसानों के खाने लायक तो नहीं होता! इसी प्रकार आप यदि प्रतिदिन या साप्ताहिक ट्रेनों में यात्रा करते हैं तब भी पेंट्री से खाना मंगवाते हैं तो मेरे खयाल से दूसरी बार कभी नहीं मंगवाएंगे! रोटियां जो दी जाती हैं उन्हें रोटियां या चपाती कहना रोटियों का मजाक उड़ाना या स्वयं का पूरी तरह अंधे होना कहा जा सकता है।

 

यदि जानवर को वह रोटी डाली जाए तो वह उसे कभी नहीं खाएगा।ऐसा प्रतीत होता है कि जो ठेकेदार यह खाना परोसते हैं उन्हें रोटी की या तो पहचान नहीं है या सब चलता है की सोच से यह कथित रोटी या चपाती परोसी जाती है।जिसे ठीक से सेंक कर नहीं दी जाती। कच्ची कागज़ की तरह बनी होती हैं। मैं तो माननीय रेल मंत्री जी को सुझाव दूंगा कि एक बार आम आदमी बनकर ट्रेन में यात्रा करें और खाना ऑर्डर कर खाएं तो आप को भी इनकी वास्तविकता से परिचय हो जाएगा। अब आते हैं हवाई अड्डे जैसे प्लेटफार्म पर ! केंटीन पर रेट लिस्ट लगी है, जिसमें चाय की मात्रा और कीमत लिखी है और अन्य खाद्य पदार्थों की कीमतें भी लिखी हैं चाय की कीमत सात रुपए लिखा है मगर दस रुपए से कम में भारत के किसी भी स्टेशन पर नहीं मिलती साथ ही चाय की गुणवत्ता इतनी घटिया होती है कि उसको पीने के बाद आदमी कसम खा लेता है कि इन आधुनिक प्लेट फार्म पर कभी चाय नहीं पियेगा!

 

आजकल वेफर्स बनाने वाली कंपनियों ने भी एक नई चाल पकड़ी है, जिसे सुनकर आप हैरान रह जाएंगे! रेलवे के केंटीन के लिए अलग से पेकिंग की जा रही है जिसकी मात्रा तो कम होगी ही कीमतें भी आम बाजार से अलग होती हैं।रेल नीर की बोतल पंद्रह रुपए में बिक्री करना है मगर केंटीन वाले सीधे बीस रुपए वसूल कर रहे हैं। बिसलरी के नाम पर स्थानीय नकली मिलते जुलते नामों की बोतल उसी कीमत पर बेची जा रही है इस ओर किसी भी रेल अधिकारी का ध्यान नहीं जाता या ध्यान नहीं देना चाहते? प्लेटफार्म पर लगे पेयजल के नल या तो बंद रखे जाते हैं या उनमें गंदा पानी दिया जाता है ताकि यात्री बोतल बंद पानी खरीदने को बाध्य हो जाए।मेरे जैसे अनेक लोग हैं जो सादा पानी ही पीते हैं बोतल का नहीं उनके लिए तो यह अभिशाप ही होता है। रेलवे के संबंधित अधिकारी इन जीवनदायिनी आवश्यकताओं के बिगड़े स्वरूप को सुधारने की ओर ध्यान दे ताकि लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ को रोका जा सके तथा जेबों को हल्का होने से बचाया जा सके।

विनायक फीचर्स

जब ग्वालियर से अटल जी ने खाई मात

जब ग्वालियर से अटल जी ने खाई मात

 

राकेश अचल

भारत की सियासत में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी का सम्मान जनक स्थान है।वे ऐसे नेताओं में से एक थे जिनके अपनी पार्टी के साथ साथ दूसरे दलों के नेताओं से भी बहुत अच्छे रिश्ते रहे।आज भी राजनीति मेंअटल जी का नाम बेहद सम्मान के साथ लिया जाता है ।अटल जी की अपार लोकप्रियता के बाद भी यह अटल सत्य है कि 1984 के लोकसभा चुनाव में अटल जी ने अपने सियासी जीवन की सबसे बड़ी पराजय का सामना किया था। वैसे अटल जी भारतीय राजनीति के अजातशत्रु माने जाते थे।

 

माधवराव सिंधिया ने 1971 ,77 और 1980 का लोकसभा चुनाव गुना-शिवपुरी संसदीय सीट से लड़ा था । माधवराव सिंधिया को हराने के लिए विपक्षी पार्टियों ने पूरी ताकत लगाई लेकिन वे कभी चुनाव नहीं हारे। बाद में माधवराव सिंधिया कांग्रेस में शामिल हो गए और 1984 में कांग्रेस ने भाजपा के सबसे बड़े नेता अटल बिहारी वाजपेयी को हराने के लिए माधवराव सिंधिया को तुरुप के पत्ते की तरह इस्तेमाल किया और ग्वालियर सीट से अटल बिहारी वाजपेयी के खिलाफ मैदान में खड़ा कर दिया। ये फैसला नामांकन पत्र भरने के अंतिम क्षणों में हुआ तब वाजपेयी जी के पास किसी दूसरी सीट से नामांकन भरने का वक्त ही नहीं बचा था।

 

मुझे याद है कि उस समय राजमाता और माधवराव सिंधिया के बीच दूरियां बढ़ने लगी थी। माधवराव सिंधिया जनसंघ छोड़कर कांग्रेस में चले गए थे। जिस कारण से राजमाता नाराज थीं। ऐसे में राजमाता ने भी 1984 का लोकसभा चुनाव ग्वालियर से लड़ने की बात कही थी। अटल बिहारी वाजपेयी को जैसे ही राजमाता के ग्वालियर से चुनाव लड़ने की भनक लगी तो वे सीधे ग्वालियर आकर राजमाता से मिले और कहा कि मैं कोटा की जगह ग्वालियर से चुनाव लडूंगा ।अटल जी ने ये प्रस्ताव भावुकता में किया था ,उन्हें क्या पता था कि उनका ये फैसला आत्मघाती साबित होगा। माधवराव सिंधिया ने उन्हें करीब पौने दो लाख वोटों से हराया था।

 

भाजपा 1984 के लोकसभा चुनाव में अटल बिहारी वाजपेयी के लिए एक सुरक्षित सीट की तलाश में थी। जिसके लिए पहले कोटा और बाद में ग्वालियर सीट पर विचार किया गया,अंत में ग्वालियर सीट से उनका नाम फाइनल किया था क्योंकि ये सीट राजमाता के प्रभाव वाली सीट थी। मजे की बात ये है कि अटल बिहारी वाजपेयी ने ग्वालियर से चुनाव लड़ने से पहले माधवराव सिंधिया से पूछा था कि आप ग्वालियर से तो चुनाव नहीं लड़ेंगे ? दोनों के रिश्ते बहुत मधुर थे। माधवराव सिंधिया ने उन्हें आश्वस्त किया कि वे तो गुना से चुनाव लड़ते हैं। ग्वालियर से क्यों लड़ेंगे ?लेकिन ऐन मौके पर जब राजीव गांधी ने माधवराव सिंधिया की सीट बदल दी तो खुद माधवराव सिंधिया अवाक रह गए।

 

1984 -85 में अटल बिहारी वाजपेयी वैसे तो माधवराव सिंधिया की उम्मीदवारी सामने आते ही आधा चुनाव हार गए थे ,लेकिन उन्होंने मैदान नहीं छोड़ा। पांव में तकलीफ के बाद भी वे प्लास्टर बांधकर चुनाव प्रचार करते रहे। भाजपा के कुछ स्थानीय कार्यकर्ताओं ने अटल जी की एक सभा में बम रखे होने की अफवाह उड़ाई और एक नारियल छिपाकर रख दिया लेकिन हवा को नहीं बदलना था ,सो नहीं बदली। अटल जी मन मारकर गली-गली चुनाव प्रचार करते रह। खुद राजमाता ने सार्वजनिक रूप से अटल जी का प्रचार किया लेकिन उनका दिल आपने बेटे की जीत के लिए धड़क रहा था। पार्टी कार्यकर्ताओं ने भी राजमाता के मन की बात सुनी और अटल जी का साथ छोड़ दिया। अटल जी को चुनाव हारना था सो चुनाव हार गए। चुनाव परिणामों की अंतिम घोषणा से पहले ही अटल जी ने कुछ चुनिंदा पत्रकारों से बातचीत में एक खीज भरी मुस्कराहट बिखेरते हुए कहा कि – ग्वालियर से चुनाव लड़कर मैंने मां -बेटे की लड़ाई को महल तक सीमित रहने दिया। उसे सड़क पर नहीं आने दिया।

 

मुझे अच्छी तरह से याद है कि अटल जी ने कहा था कि-‘ अगर मैं इस सीट से चुनाव नहीं लड़ता तो माधवराव सिंधिया के खिलाफ राजमाता चुनाव लड़ जाती और मैं यही नहीं चाहता था।’ इससे पहले वे पार्टी के मना करने के बावजूद रायबरेली से इंदिरा गाँधी के खिलाफ चुनाव लड़कर हार चुकी थी।भाजपा कि सिंधिया परिवार के प्रति भक्ति अटल जी की हार का कारण बनी ।

 

1984 -85 के लोकसभा चुनाव में पहली बार ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने पिता माधवराव सिंधिया के समर्थन में रैली की थी। ये उनकी पहली रैली थी। उस समय ज्योतिरादित्य सिंधिया की उम्र मात्र 14 साल थी। उन्होंने अपनी मां के साथ अपने माधवराव सिंधिया के लिए चुनाव प्रचार किया था। वहीं, राजमाता ने चुनाव प्रचार में केवल एक रैली को संबोधित किया था। इस दौरान उन्होंने कहा था कि एक ओर पूत है, दूसरी ओर सपूत।

क्या जेईई की तैयारी 12वीं कक्षा में उच्च अंक की गारंटी दे सकती है?

क्या जेईई की तैयारी 12वीं कक्षा में उच्च अंक की गारंटी दे सकती है?

 

विजय गर्ग

 

सीबीएसई/आईसीएसई/राज्य बोर्ड परीक्षा बनाम जेईई मेन: क्या जेईई की तैयारी 12वीं कक्षा में उच्च स्कोर की गारंटी दे सकती है?

 

 

संयुक्त प्रवेश परीक्षा (मुख्य) की तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों को अक्सर चुनौतीपूर्ण सवाल का सामना करना पड़ता है कि क्या जेईई मेन के लिए उनकी तैयारी के परिणामस्वरूप सीबीएसई/राज्य/आईसीएसई बोर्ड कक्षा 12 बोर्ड परीक्षाओं में अच्छा प्रदर्शन हो सकता है। आमतौर पर, जेईई मेन सत्र 1 सीबीएसई/राज्य/आईसीएसई 12वीं बोर्ड परीक्षा शुरू होने से 2-3 सप्ताह पहले होता है।

 

कई महत्वाकांक्षी इंजीनियर और आम जनता आमतौर पर मानते हैं कि जेईई मेन की तैयारी विज्ञान स्ट्रीम के लिए सीबीएसई/आईसीएसई/स्टेट 12वीं बोर्ड परीक्षा के परिणामों पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। हालाँकि, यह निर्धारित करना कि क्या जेईई की तैयारी कक्षा 12 सीबीएसई/राज्य/आईसीएसई बोर्ड परीक्षा में उच्च अंक सुनिश्चित कर सकती है, एक जटिल प्रश्न है जिसका कोई सरल उत्तर नहीं है। परिणाम विभिन्न कारकों पर निर्भर करता है:

 

सिलेबस में समानता

जेईई मेन और सीबीएसई/राज्य/आईसीएसई कक्षा 12 दोनों में भौतिकी, रसायन विज्ञान और गणित के विषय कई सामान्य विषयों को साझा करते हैं। इसका मतलब यह है कि यदि आप जेईई की तैयारी पर ध्यान केंद्रित करते हैं, तो आप स्वचालित रूप से सीबीएसई/राज्य/आईसीएसई पाठ्यक्रम का एक अच्छा हिस्सा पढ़ लेंगे। हालाँकि, यह समझना महत्वपूर्ण है कि जेईई मेन विशिष्ट अवधारणाओं पर अधिक विस्तार से बताता है और इसमें अतिरिक्त विषय भी शामिल हैं जो सीबीएसई/राज्य पाठ्यक्रम में नहीं पाए जाते हैं। इसके अतिरिक्त, सीबीएसई/राज्य/आईसीएसई बोर्ड अंग्रेजी, हिंदी और अन्य ऐच्छिक जैसे विषयों को कवर करते हैं, जो जेईई के लिए प्रासंगिक नहीं हैं।

 

सीबीएसई/आईसीएसई/राज्य बोर्ड स्कोर पर जेईई तैयारी का प्रभाव

सकारात्मक प्रभाव: जेईई के लिए अच्छी तैयारी करने से निश्चित रूप से भौतिकी, रसायन विज्ञान और गणित की आपकी समझ में वृद्धि हो सकती है, जिससे संभवतः आपके सीबीएसई/राज्य/आईसीएसई बोर्ड के दौरान इन विषयों में बेहतर स्कोर प्राप्त होंगे। जेईई की तैयारी में नियोजित व्यावहारिक दृष्टिकोण आपके समस्या-समाधान कौशल को भी मजबूत कर सकता है, जो सीबीएसई/आईसीएसई/राज्य बोर्ड परीक्षाओं के लिए फायदेमंद है।

 

नकारात्मक प्रभाव: हालाँकि, केवल जेईई की तैयारी पर ध्यान केंद्रित करने से आपके सीबीएसई/आईसीएसई बोर्ड में अन्य विषयों की उपेक्षा हो सकती है, जिससे संभावित रूप से आपके समग्र स्कोर पर असर पड़ सकता है। साथ ही, जेईई की तैयारी की तेज़ गति और प्रतिस्पर्धी प्रकृति सीबीएसई/आईसीएसई/राज्य बोर्ड परीक्षाओं के व्यापक संदर्भ के अनुरूप नहीं हो सकती है।

 

 

विचार करने योग्य कारक

व्यक्तिगत सीखने की शैली: कुछ छात्र तनावपूर्ण और प्रतिस्पर्धी स्थितियों में अच्छा प्रदर्शन करते हैं, जबकि अन्य अधिक संरचित और संतुलित दृष्टिकोण पसंद करते हैं। सीखने की शैलियों में विविधता इस बात पर प्रभाव डाल सकती है कि संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) की तैयारी केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई/राज्य/आईसीएसई बोर्ड) के अंकों के साथ कितनी प्रभावी ढंग से संरेखित होती है।

 

परीक्षा रणनीति: जब संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) की बात आती है, तो अपने ज्ञान को शीघ्रता से लागू करने पर ध्यान केंद्रित करना महत्वपूर्ण है। इसके विपरीत, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई/राज्य/आईसीएसई) बोर्ड परीक्षाओं के लिए सभी विषयों पर गहरी पकड़ और अपने समय को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने की क्षमता की आवश्यकता होती है।

समय प्रबंधन: दोनों परीक्षाओं के लिए तैयारी करते समय अपने समय का प्रभावी ढंग से प्रबंधन करना महत्वपूर्ण है। प्रत्येक विषय के लिए अपना समय उचित रूप से आवंटित करना, उनके महत्व को ध्यान में रखना और अपनी व्यक्तिगत शक्तियों और कमजोरियों पर विचार करना महत्वपूर्ण है।

 

जेईई की तैयारी आपको अपने सीबीएसई/राज्य/आईसीएसई बोर्डों में भौतिकी, रसायन विज्ञान और गणित में अच्छा स्कोर करने के लिए एक मजबूत आधार बनाने में मदद कर सकती है। हालाँकि, यह सफलता का कोई गारंटीकृत मार्ग नहीं है। केवल जेईई पर ध्यान केंद्रित करने से आप अन्य विषयों की उपेक्षा कर सकते हैं और यह हर किसी के लिए सबसे अच्छी रणनीति नहीं हो सकती है।

इवेंट मैनेजमेंट में करियर और नौकरी का दायरा और अवसर 

इवेंट मैनेजमेंट में करियर और नौकरी का दायरा और अवसर 

 

विजय गर्ग 

इवेंट मैनेजर के रूप में काम करने वाले व्यक्ति विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित करते हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि दर्शकों की रुचि हो और कार्यक्रम का संदेश सही ढंग से संप्रेषित हो। हम सभी अपने पूरे जीवन में विभिन्न आयोजनों में गए हैं, चाहे वह शादी हो, जन्मदिन समारोह हो, या कोई बड़ा संगीत समारोह हो। इवेंट प्रबंधन व्यवसायों को इवेंट के दिन समस्याओं से बचने के लिए सावधानीपूर्वक योजना बनाने की आवश्यकता होती है। जैसे कि बजट तय करना, सजावट योजना, स्थान, अतिथि सूची, भोजन इत्यादि। कुछ साल पहले लोगों को एहसास हुआ कि इसे प्रबंधित करना बहुत मुश्किल है, इसलिए उन्होंने पूरे आयोजन को संभालने के लिए इवेंट मैनेजर जैसे विशेषज्ञों को नियुक्त करना शुरू कर दिया। इवेंट मैनेजमेंट उन छात्रों के लिए एक बेहतरीन करियर मार्ग है जिनके पास रचनात्मक कल्पना और ठोस प्रबंधकीय कौशल हैं। प्रयास कभी-कभी थका देने वाला हो सकता है, लेकिन अंतिम परिणाम हमेशा सार्थक होता है।

 

किसी ब्रांड या संगठन की सफलता के लिए इवेंट महत्वपूर्ण हैं। इवेंट मैनेजमेंट क्यों चुनें? इवेंट प्लानर बड़ी सभाओं और कार्यक्रमों की योजना बनाने में अपने ग्राहकों की सहायता करते हैं। इस कैरियर पथ में कई अनूठे फायदे हैं और साथ ही विशेषज्ञों के लिए कुछ बाधाएं भी हैं। इस रोजगार के लाभों और कमियों को समझने से आपको यह निर्णय लेने में मदद मिल सकती है कि आप इवेंट मैनेजर के रूप में काम करना चाहते हैं या नहीं। नवप्रवर्तन की संभावनाएँ: आप घटनाओं और उत्सवों के विवरण के समन्वय के लिए एक इवेंट प्लानर के रूप में अपनी रचनात्मक क्षमताओं और प्रतिभाओं का उपयोग कर सकते हैं। आपके ग्राहक अलग-अलग पार्टी शैलियाँ चुन सकते हैं, जिससे आप प्रत्येक कार्यक्रम में रचनात्मक हो सकते हैं। कई इवेंट पर काम करें: एक इवेंट प्लानर अक्सर कई तरह के इवेंट पर काम करता है। उदाहरण के लिए, वे एक व्यावसायिक सम्मेलन, एक क्रिसमस पार्टी, एक संगीत समारोह या एक उत्पाद लॉन्च का आयोजन कर सकते हैं। परिणामस्वरूप, एक इवेंट मैनेजर के पास अक्सर एक रोमांचक पेशा और दिलचस्प कार्य होते हैं। आकर्षक नौकरी वृद्धि: इवेंट प्लानर अपने उद्योग में तेजी से नौकरी वृद्धि की उम्मीद कर सकते हैं। यूएस ब्यूरो ऑफ लेबर स्टैटिस्टिक्स के अनुसार, बैठक, सम्मेलन और कार्यक्रम नियोजकों का 2020 और 2030 के बीच 18% तक विस्तार होने की उम्मीद है। कार्य वातावरण जो उत्पादकता बढ़ाता है: अपने कार्यक्रमों की जटिलताओं को व्यवस्थित और समन्वयित करने के लिए, इवेंट मैनेजर अक्सर समूहों में काम करते हैं।

 

यह उन्हें अपनी सीख को बढ़ाने और इवेंट मैनेजमेंट के नए तरीकों के साथ प्रयोग करने की अनुमति देता है। इवेंट मैनेजमेंट में शीर्ष करियर इवेंट मैनेजमेंट क्षेत्र में कुछ नौकरी के शीर्षक निम्नलिखित हैं। इवेंट मैनेजर की नौकरी की भूमिका यहां उद्योग और करियर विकास के आधार पर विभिन्न उपाधियों के साथ पेश की जाती है। 1. इवेंट प्लानर: टीम वर्क की कमी के कारण होने वाली गड़बड़ी से बचने के लिए एक इवेंट आयोजक काफी प्रयास करता है। वह कार्यक्रमों के आयोजन और अन्य सभी चीजों, जैसे ग्राहक बैठकें और स्थल की सफाई के लिए जिम्मेदार है। बजट तैयार करना, स्थानों की खोज करना और स्थानों की व्यवस्था करना सभी एक इवेंट समन्वयक के काम का हिस्सा हैं। वह प्रेस आउटरीच को संभालता है, प्रायोजकों और सेलिब्रिटी मेहमानों को प्राप्त करता है, और फूल विक्रेता, कैटरर्स और डीजे जैसे सहायक कर्मचारियों की निगरानी करता है। वह कार्यक्रम नियोजकों और समन्वयकों को भी सहायता प्रदान करता है। 2. एसोसिएट इवेंट सुपरवाइज़र: प्रासंगिक पाठ्यक्रमों को सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद छात्रों को एसोसिएट स्तर पर नियुक्त किया जाता है।

 

यह उन छात्रों के लिए प्रवेश का प्रारंभिक स्तर है जो इवेंट मैनेजमेंट में काम करना चाहते हैं। वास्तविक दुनिया में चीजें कैसे काम करती हैं, इसकी बुनियादी समझ हासिल करने के लिए एसोसिएट इवेंट प्लानर इस अवधि के दौरान वरिष्ठों की देखरेख में काम करता है। 3. इवेंट मैनेजर: एक इवेंट मैनेजर योजना बनाने, समन्वय करने और क्रियान्वित करने का प्रभारी होता हैसभी आकार और प्रकार के विभिन्न प्रकार के आयोजन, जैसे खाद्य उत्सव, व्यावसायिक गतिविधियाँ, संगीत प्रदर्शन और सम्मेलन। एक इवेंट मैनेजर ग्राहकों से उनकी जरूरतों का विश्लेषण करने और इवेंट का लक्ष्य तय करने के लिए बात करता है। फिर इवेंट मैनेजर इवेंट की योजना बनाने के लिए आयोजकों, विक्रेताओं और अन्य विशेषज्ञों से मिलते हैं। इवेंट मैनेजर वित्तीय प्रबंधन के भी प्रभारी होते हैं। 4. कार्यक्रम आयोजक: कार्यक्रम आयोजक कार्यक्रमों की व्यवस्था और समन्वय के प्रभारी होते हैं। फर्म के आधार पर, आयोजन का आकार और शैली भिन्न हो सकती है।

 

वे ग्राहक के बजट को बनाने और प्रबंधित करने और उपयुक्त कार्यक्रम स्थलों की खोज, बुकिंग और समन्वय के लिए भी जिम्मेदार हैं। 5. लॉजिस्टिक्स मैनेजर: लॉजिस्टिक्स मैनेजर की मुख्य जिम्मेदारियां गोदाम सूची का प्रबंधन करना और इन्वेंट्री रिकॉर्ड रखना है। बजट का प्रबंधन करना और परिवहन कंपनियों का चयन करना, इसके अलावा उनके साथ दरों और अनुबंधों पर बातचीत करना। वे ग्राहकों की शिकायतों और मुद्दों को हल करने के लिए भी जिम्मेदार हैं। इवेंट मैनेजमेंट डिग्री के साथ करियर स्कोप इवेंट मैनेजमेंट भारत और विदेश दोनों में अनुप्रयोगों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करता है। उम्मीदवार सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों में कई हाई-प्रोफ़ाइल कार्य अवसरों की खोज कर सकते हैं। जो छात्र इवेंट मैनेजमेंट में बीबीए पूरा करते हैं, वे उसी क्षेत्र में अपनी शिक्षा जारी रख सकते हैं और उसी क्षेत्र में एमबीए या पीएचडी की डिग्री हासिल करके आगे विशेषज्ञता हासिल कर सकते हैं। इवेंट मैनेजमेंट की डिग्री वाले उम्मीदवार कोर्स पूरा करने के बाद मार्केटिंग एक्जीक्यूटिव, डिजाइनिंग एडमिनिस्ट्रेटर, शिक्षक, मीडिया रिलेशन मैनेजर और कई अन्य हाई-प्रोफाइल भूमिकाओं में काम कर सकते हैं।

 

सामान्य न्यूनतम वार्षिक आय 3,00,000 रुपये है, जो क्षेत्र में व्यावहारिक अनुभव के साथ बढ़ती है। भारत में इवेंट मैनेजमेंट का दायरा भारत में पिछले कुछ वर्षों में लाइव और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की मांग में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में वृद्धि ने दर्शकों की रुचि और उनके मनोरंजन के तरीकों को बदल दिया है। आजकल लोग अपने कलाकारों को ऑन-स्क्रीन देखने के बजाय उनके लाइव शो और परफॉर्मेंस देखना पसंद करते हैं। इसके अलावा, कनेक्टिविटी और सामान्य नेटवर्किंग की अवधारणा ने लोगों को लाइव मनोरंजन प्रस्तुति देखने के लिए इकट्ठा होने के लिए समान आधार प्रदान किया है। आनंद के तरीकों में इस बदलाव के परिणामस्वरूप इवेंट मैनेजमेंट की लोकप्रियता बढ़ी है। अधिक से अधिक युवा इवेंट मैनेजमेंट में अध्ययन करने के इच्छुक हैं, जिसमें करियर के विकास की उज्ज्वल संभावनाएं हैं।

 

इवेंट मैनेजमेंट में अध्ययन पूरा करने के बाद युवा पेशेवर निम्नलिखित उद्योगों में रोजगार पा सकते हैं: वेडिंग प्लानिंग- वेडिंग मैनेजमेंट इंडस्ट्री हमारे देश में सबसे संपन्न व्यवसायों में से एक है। शादियाँ हमारी संस्कृति और परंपरा का एक शुभ हिस्सा हैं। एक अध्ययन के मुताबिक, भारतीय वेडिंग मैनेजमेंट इंडस्ट्री हर साल लगभग 1,00,000 करोड़ रुपये कमाती है। और यह राशि हर साल 25-30% बढ़ जाती है। इस प्रकार, इवेंट रिटेलर भव्य समारोहों द्वारा बढ़ाई गई इस बड़ी संख्या में शादियों के साथ अपने परिचालन का भरपूर लाभ उठा सकते हैं। कॉर्पोरेट सभाएँ- कंपनी पुरस्कार समारोह, प्रेस कॉन्फ्रेंस और अन्य संगठनात्मक कार्यक्रमों के लिए कार्यक्रम आयोजकों की ओर से उच्च स्तर की ईमानदारी और कौशल-सेट निष्पादन की आवश्यकता होती है। परिणामस्वरूप, इस बाज़ार में प्रवेश करने के इच्छुक किसी भी व्यक्ति को विभिन्न कॉर्पोरेट इवेंट प्रबंधन रणनीतियों में नौकरी पर प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके अलावा, इन रणनीतियों को वैचारिक प्रासंगिकता के साथ एकत्रित करने से इस उद्योग में इवेंट मैनेजरों के विकास पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ेगा। व्यापार मेलों- भारत में उद्योग के इस क्षेत्र में उल्लेखनीय विस्तार देखा गया है। यह ज्यादातर स्थापित संगठनों और नए स्टार्ट-अप के बीच बढ़ती बिजनेस नेटवर्किंग के कारण है। आश्चर्यजनक रूप से, इस क्षेत्र पर उद्योग से जुड़ने के इच्छुक आवेदकों का सबसे कम ध्यान जाता है। इसका मुख्य कारण विवाह प्रबंधन उद्योग में ग्लैमर की कमी है। प्रमोशनल इवेंट- यह ज्यादातर स्थापित संगठनों और नए स्टार्ट-अप के बीच बढ़ती बिजनेस नेटवर्किंग के कारण है। आश्चर्यजनक रूप से, इस क्षेत्र पर उद्योग से जुड़ने के इच्छुक आवेदकों का सबसे कम ध्यान जाता है। इसका मुख्य कारण विवाह प्रबंधन उद्योग में ग्लैमर की कमी है। सामाजिक कार्यक्रम- नवागंतुकों के लिए सामाजिक कार्यक्रम इवेंट क्षेत्र में एक शानदार प्रवेश बिंदु हैं।

 

भारत में यह क्षेत्र हर साल लगभग 20% की दर से बढ़ रहा है, जिससे यह हमारी प्रबंधन प्रतिभाओं और आकांक्षाओं का परीक्षण करने के लिए एक मूल्यवान उद्योग बन गया है। संक्षेप में, अद्भुत प्रबंधन परिणाम प्रदान करते हुए आपके उत्साह को बनाए रखने के लिए सामाजिक कार्यक्रम एक उत्कृष्ट रोजगार विकल्प हैं। नौकरी की स्थिति के आधार पर औसत वेतन इवेंट मैनेजमेंट एक आशाजनक और फायदेमंद विकल्प है। उम्मीदवार जॉब प्रोफाइल की एक विस्तृत श्रृंखला में उच्च-भुगतान वाले रोजगार पा सकते हैं। वे इवेंट मैनेजर, प्रमोशन मैनेजर, डिजाइनिंग एक्जीक्यूटिव, इवेंट कोऑर्डिनेटर, सेलिब्रिटी मैनेजर, जनसंपर्क अधिकारी आदि के रूप में काम कर सकते हैं। विजय गर्ग सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य शैक्षिक स्तंभकार मलोट

 

संगत

संगत

विभा वर्मा वाची राँची झारखंड
विभा वर्मा वाची
राँची झारखंड

सत संगत ही कीजिए,जग में होता नाम।
बुरे लोग को देखिए ,कर देते बदनाम।।

नित्य कर्म करते रहें,मिले वहाँ सम्मान।
असर बुरा होता तभी ,संगत को पहचान।।

संगत संतों का करें,भरें ज्ञान भंडार।
ज्ञान-ध्यान के जाप से,ख़ुशियाँ मिले अपार।।

संगत दुर्जन का हुआ,नाम हुआ बदनाम।
असर कुसंगति का दिखा,नहीं मिला था दाम।।

संगत विदुषी का रहे,बन जाते विद्वान।
दुष्टों की संगति कहें ,बुराइयों की खान।।

रच प्रपंच शकुनि यहाँ,बिछा झूठ का जाल।
संगत का दिखता असर ,हाल हुआ बेहाल।।

संगति बुरी न कीजिए ,संग बुरी दे हानि।
संतों की संगति भली,अभी उसे अपनानि।।

संगत कीजे साध कर,करते अच्छा काम।
मिले ज्ञान सत्संग से ,जपना हरि का नाम।।

संगत संतों का करें ,जीवन हो खुशहाल।
नीरस जीवन को भला,सकता कौन सँभाल।।

संगत संतों का करें ,कहती वाची जान।
दुष्टों की टोली बुरी, जाने सकल जहान।।

विभा वर्मा वाची
राँची झारखंड

विनाश का उद्गार

विनाश का उद्गार

ईर्ष्या को कहते अभिशाप है।
ईर्ष्या अभाव से जन्मी भावना है।
श्रम कर्म का मानव करते हैं त्याग ,
तब ही विनाश का उद्गार पनपता है।

स्व पर ईर्ष्यालु को संतोष नहीं ।
जीवन आनन्द से वंचित रह जाता ।
दूसरों की वस्तु पर नजर गढ़ाता है।
अपनी गरीब आत्म छवि दर्शाता है।

क्रोध,अक्रोश, संकीर्ण विचार है।
निंदा ही इसकी बन जाती पहचान ,
सद्गुणों का हो जाता है इससे ह्वास।
खुद के चरित्र का हो जाता है विनाश।

ईर्ष्या देती है स्पर्धा को निमंत्रण।
यही हीनता की भावना का स्रोत है।
असमर्थता का होता इसमें अवलोकन।
नफरत की ऑंधी मन को करती विकल।

स्वरचित
डॉ सुमन मेहरोत्रा
मुजफ्फरपुर,बिहार

तुलसी महिमा

तुलसी महिमा

नमो नमः तुलसी महारानी।
नमो नमो हरि की पटरानी।।
मातु जागो आई जगाने।
प्रेम भाव के पुष्प चढाने।।

विनती मोरी सुन लो मैया।
सुख की हमको दे दो छैया।।
प्रेम कलश भर नीर चढाँऊ।
धूप दीप सेवा में लाँऊ।।

प्रेम भाव से सिंचन करते।
अन्न-धन के भण्डारे भरते।।
मास कतकी कल्याण प्रदाता।
वरदायक है तुलसी माता।।

दूल्हे सालिगरामजी आए।
एकादश में ब्याह रचाए।।
खुशियों की गूँजी शहनाई।
भक्ति ने मिल गाई बधाई।।

मंगल मोद मुदित मन रीझो।
भक्ति वरदान हमको दीजो।।
दुख दरिद्र निकट नहीं आता।
जो नित मंगल दीप जलाता।

तुलसी माँ सुख संपत्ति दाता।
भक्तों की तुम भाग्य विधाता।।
हाथ जोड़ कर तुम्हें मनाएं।
चरण कमल रज शीश चढाएं।।

मेरे अवगुण बिसरा देना।
माँ आँचल की छैया देना।।
माँ ‘सीमा’ तेरी बालक है।
तू माता सबकी पालक है।।

कृष्ण प्रिया शुभ मंगल दाता।
जो जन मात शरण में आता।।
अंत समय मुख में दल रहता।
यम की त्रास से मुक्ति पाता।।

अक्षत,पुष्प ले थाल सजाए।
करें आरती जन सुख पाएं।।
दास सहज में दर्शन पाता।
मानव जन्म सफल हो जाता ।।

षडरस व्यंजन खूब बनाए।
पकवानों से थाल सजाए।।
छप्पन व्यंजन भोग लगाए।
तुलसी से हरि खूब मनाए।।

राखो मेरी लाज भवानी।
‘सीमा’ महिमा रोज बखानी।।
जीवन में मंगल सुख आता।
चित्त लगा के पाठ जो गाता।।

✍️ सीमा गर्ग मंजरी
मौलिक सृजन
मेरठ कैंट उत्तर प्रदेश
सर्वाधिकार सुरक्षित ©®

प्रबोधिनी एकादशी

प्रबोधिनी एकादशी

पावन पवित्र कार्तिक मास,
शुक्ल पक्ष एकादशी,
प्रबोधिनी एकादशी कहलाती।

भगवान विष्णु की पूजा अर्चना का,
विशेष महत्व, कार्तिक मास में होता। ।

प्रबोधिनी एकादशी को,
श्री हरि विष्णु जागते योग निद्रा से,
देते प्रबोधन चराचर जगत को।
गलती जो हुई हमसे,
प्रायश्चित करो और सुधार करो। ।

विशेष महत्व ग्रंथों पुराणों में,
एकादशी का बतलाया।
उपवास सभी सनातनी करते।
शोक, ताप ,पाप नष्ट हो जाते। ।

मन निगृह का उत्तम मार्ग है उपवास।
प्रबोधिनी एकादशी का व्रत जो करते,
भव बंधन छूट जाते,मन वांछित फल पाते।
सुख- संपत्ति, संतति घर में लाते।।

जिनके घर ऑंगन तुलसी का वास।
मन इच्छा पूरी होती बिना प्रयास। ।

🙏🌹चंद्रकला भरतिया नागपुर🙏

देवोत्थान एकादशी

देवोत्थान एकादशी

कार्तिक मास शुक्ल पक्ष एकादशी,
कहें प्रबोधिनी या देवोत्थान एकादशी।

भगवान विष्णु योगनिद्रा से जागे,
इसे हरि वासर या हरि दिन कहते।
दस इंद्रियों का स्वामी 11वाॅं मन है।

एकादशी पूजन से, उपवास से,
मन का निग्रह हो जाता है ।

प्रभु जागरण के बहाने हम सबको,
देवत्व के जागरण का संदेश मिलता।
मान्यता है व्रत के प्रभाव से,
मानव का उत्थान व मोक्ष प्राप्त होता।

गरुण पुराण, पद्मपुराण ग्रंथों में,
वर्णित प्रबोधिनी एकादशी का व्रत ,
पाप,ताप,शाप का नाशक है।
मनोवांछित फलदायक,
भव बंधन,विध्नविनाशक है।

(स्वरचित)
___डाॅ सुमन मेहरोत्रा
मुजफ्फरपुर,बिहार

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