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विचार

मोटिवेशनल कोट्स: जो बदल दें आपके जीवन की दिशा और दशा

 

फौजिया नसीम शाद

 

इसमें कोई दो राय नहीं है कि हमारे जीवन आ रहे उतार -चढ़ाव ,समस्याओं के समाधान के साथ हमारी सफलता को स्थापित करने में ,हमें हमारे जीवन में कुछ करने की प्रेरणा प्रदान करने व हमारे लक्ष्य प्राप्ति में मोटिवेशनल कोट्स जिन्हें हम हिंदी में उद्धरण के नाम से भी जानते हैं महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं,ये मोटिवेशनल कोट्स हमारे अंदर उत्साह का संचार ही नहीं करते बल्कि ये हमें स्वयं पर विश्वास करना भी सिखाते हैं।

हमारे जीवन में हमारे आत्मविश्वास को बढ़ाने में और हमारा सर्वश्रेष्ठ देने में मोटिवेशनल कोट्स की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता, उपरोक्त लेख में हम मोटिवेशनल कोट्स की उपयोगिता को समझने का प्रयास करेंगे —

जीवन के उतार- चढ़ाव और विपरीत परिस्थितियों में मोटिवेशनल कोट्स सकारात्मक भूमिका निभाते हैं।

मोटिवेशनल कोट्स हताश और जीवन से निराश व्यक्ति में उर्जा,स्फूर्ति व उत्साह का संचार करते हैं।

किसी भी व्यक्ति को विपरीत परिस्थितियों से बाहर निकालने मोटिवेशनल कोट्स महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जाने कुछ ऐसे प्रेरणादायक उदाहरण-

मोटीवेशनल कोट्स हमारे जीवन को सकारात्मक दिशा प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं

सफलता की उम्म्मीद पर विश्वास न करने वाले कभी जीवन में सफलता प्राप्त नहीं कर पाते ,सफलता के लिए सफलता पर विश्वास करना सीखिए।

स्वयं पर विश्वास करना सीखिए क्योकि स्वयं को निर्बल असहाय समझने वाले भी जीवन में कभी सफलता प्राप्त नहीं कर पाते।

जीवन में गलतियां करने से कभी न डरें ,सही मायने में गलतियां करके ही हम जीवन को ठीक ढंग से समझ पाते , मेरा लिखा अशआर भी यहां देखें- सीखने का हुनर नहीं आता, गलतियां हम अगर नहीं करते।

जो लोग स्वयं को नियंत्रित रखने में पूर्णत: सक्षम होते हैं उनके लिए कुछ भी मुश्किल नहीं होता।

अपनी असफलता से कभी न घबराएं क्योंकि असफलता ही सफलता की पहली सीढ़ी होती है।

अपने परिश्रम पर विश्वास करने वाले जीवन में कभी असफलता का मुंह नहीं देखते।

स्वयं में सुधार के छोटे-छोटे प्रयास करते रहे ये आपके व्यक्तिव के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

विपरीत परिस्थितियों से डर कर उनके समक्ष हाथ खड़े कर लेनाआपकी कायरता और आपका स्वयं पर विश्वास न होने की वास्तविकता को स्पष्ट करता है इससे बचे,हिम्मत और हौंसला रखें समय कैसा भी हो गुजऱ जाता है धैर्य के साथ विपरीत परिस्थियों से बाहर निकलने का प्रयास करते रहना चाहिए।

अपने प्रयासों में सफलता के लिए हर पल मोटिवेटेड रहें,आपके ऐसा करने से भी आपका लक्ष्य और आपकी सफलता का मार्ग प्रशस्त रहता है।

विषम परिस्थितियों से घबराकर हमारा उसके समक्ष हाथ खड़े कर देना, स्थिति को और भी गंभीर बनाता है

आधुनिक रेल की वास्तविकता

पंकज शर्मा तरुण
पंकज शर्मा तरुण

भारतीय रेल की वर्तमान तस्वीर कितनी बदली यह किसी से भी छुपा नहीं है। एक समय था जब पूरे देश में छोटी लाइन थी जिसे अंग्रेजों ने बिछाया था इसको मीटर गेज/नेरो गेज कहा जाता था।कोयले से चलने वाले काले रंग के इंजिन हुआ करते थे, जिसे भाप के इंजिन या स्टीम इंजिन कहते थे। जिन युवाओं ने यह नहीं देखे वे सनी देओल की फिल्म गदर टू देखेंगे तो उसमें इस को दिखाया गया है। ट्रेन की बोंगियां इतनी भारी और छोटी होती थी कि कोयले के इंजिन खींच नहीं पाते थे।बुनियादी सुविधाओं का भी अभाव होता था।समय बदलता गया मीटर गेज परिवर्तन किया गया। ब्रॉड गेज रेल लाइन बिछने लगी डीजल के इंजिन आए, डबल लाइन बिछाई गई, बिजली के इंजिन आए, बिजली की लाइन बिछाई गई। बोंगियोंं को आधुनिक सुख सुविधाओं से लैस किया गया, सीटों को आरामदायक बनाया गया।प्लेट फार्म हवाई अड्डे की तरह सर्व सुविधायुक्त बनने लगे।भारतीय रेल आज विश्व स्तर पर अपनी गाथा स्वयं लिख रही है।वंदे भारत, डेमो, मेमो, मेट्रो जैसे अनेक विकल्प आ गए ट्रेनों की गति बढ़ती जा रही है।

 

मगर यहां एक चूक भी हो रही है जिसका जिक्र करना भी अनिवार्य है। मैं पिछले दिनों एक तीर्थ यात्रा पर चलने वाली विशेष ट्रेन से रामेश्वरम गया था, जो इंदौर से शुरू हुई थी। इसमें लगभग एक हजार तीर्थ यात्री थे। आई आर सी टी सी के द्वारा इस यात्रा का संचालन किया जा रहा था ऐसी ट्रेनें बारहों मास चलाई जाती हैं। जिसमें सुबह की चाय नाश्ते से लेकर पेयजल की भी व्यवस्था होती है।साथ ही दोनों समय भोजन की व्यवस्था होती है।यात्रियों को जो भोजन परोसा जाता है उसकी गुणवत्ता की जांच की जाए तो निश्चित रूप से कह सकते हैं कि यह खाना इंसानों के खाने लायक तो नहीं होता! इसी प्रकार आप यदि प्रतिदिन या साप्ताहिक ट्रेनों में यात्रा करते हैं तब भी पेंट्री से खाना मंगवाते हैं तो मेरे खयाल से दूसरी बार कभी नहीं मंगवाएंगे! रोटियां जो दी जाती हैं उन्हें रोटियां या चपाती कहना रोटियों का मजाक उड़ाना या स्वयं का पूरी तरह अंधे होना कहा जा सकता है।

 

यदि जानवर को वह रोटी डाली जाए तो वह उसे कभी नहीं खाएगा।ऐसा प्रतीत होता है कि जो ठेकेदार यह खाना परोसते हैं उन्हें रोटी की या तो पहचान नहीं है या सब चलता है की सोच से यह कथित रोटी या चपाती परोसी जाती है।जिसे ठीक से सेंक कर नहीं दी जाती। कच्ची कागज़ की तरह बनी होती हैं। मैं तो माननीय रेल मंत्री जी को सुझाव दूंगा कि एक बार आम आदमी बनकर ट्रेन में यात्रा करें और खाना ऑर्डर कर खाएं तो आप को भी इनकी वास्तविकता से परिचय हो जाएगा। अब आते हैं हवाई अड्डे जैसे प्लेटफार्म पर ! केंटीन पर रेट लिस्ट लगी है, जिसमें चाय की मात्रा और कीमत लिखी है और अन्य खाद्य पदार्थों की कीमतें भी लिखी हैं चाय की कीमत सात रुपए लिखा है मगर दस रुपए से कम में भारत के किसी भी स्टेशन पर नहीं मिलती साथ ही चाय की गुणवत्ता इतनी घटिया होती है कि उसको पीने के बाद आदमी कसम खा लेता है कि इन आधुनिक प्लेट फार्म पर कभी चाय नहीं पियेगा!

 

आजकल वेफर्स बनाने वाली कंपनियों ने भी एक नई चाल पकड़ी है, जिसे सुनकर आप हैरान रह जाएंगे! रेलवे के केंटीन के लिए अलग से पेकिंग की जा रही है जिसकी मात्रा तो कम होगी ही कीमतें भी आम बाजार से अलग होती हैं।रेल नीर की बोतल पंद्रह रुपए में बिक्री करना है मगर केंटीन वाले सीधे बीस रुपए वसूल कर रहे हैं। बिसलरी के नाम पर स्थानीय नकली मिलते जुलते नामों की बोतल उसी कीमत पर बेची जा रही है इस ओर किसी भी रेल अधिकारी का ध्यान नहीं जाता या ध्यान नहीं देना चाहते? प्लेटफार्म पर लगे पेयजल के नल या तो बंद रखे जाते हैं या उनमें गंदा पानी दिया जाता है ताकि यात्री बोतल बंद पानी खरीदने को बाध्य हो जाए।मेरे जैसे अनेक लोग हैं जो सादा पानी ही पीते हैं बोतल का नहीं उनके लिए तो यह अभिशाप ही होता है। रेलवे के संबंधित अधिकारी इन जीवनदायिनी आवश्यकताओं के बिगड़े स्वरूप को सुधारने की ओर ध्यान दे ताकि लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ को रोका जा सके तथा जेबों को हल्का होने से बचाया जा सके।

विनायक फीचर्स

परीक्षाओं को नकल से मुक्त करने का प्रयास

परीक्षाओं को नकल से मुक्त करने का प्रयास

विजय गर्ग
विजय गर्ग

विजय गर्ग
किसी भी प्रतियोगिता का उद्देश्य काबिलियत की परख करना होता
है। पुराने जमाने में यह काम शासकों की सेनाओं में भर्ती के लिए किया जाता था। तब ऐसे परीक्षाओं का पैमाना शारीरिक सौष्ठव हुआ करता था। आधुनिक समय में किसी भी प्रतियोग परीक्षा में पढ़ाई- लिखाई और दिमागी समझ इसका आधार बनी, पर योग्यता तय करने के जिस परीक्षा की जरूरत होती है, अगर उसमें कदाचार यानी नकल और पर्चा लीक जैसे घुन लग जाएं तो क्या होगा? यह एक ऐसा सवाल है, जिससे निजात पाने की हर कोशिश पिछले एक-डेढ़ दशक में नाकाम साबित होती रही है। खास तौर से पेपर लीक और नकल कराने के मामलों में संगठित गिरोहों की घुसपैठ ने हालात बद से बदतर ही किए हैं, पर अब इसका एक पक्का इलाज मिलने जा रहा है।

 

सख्ती का उद्देश्य इसके लिए केंद्र सरकार ने संसद में सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक 2024 बिल पेश किया है। लोकसभा और राज्यसभा में पारित होने के पश्चात इसे राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएग राष्ट्रपति की मुहर लगते ही यह विधेयक कानून का रूप ले लेगा। इस विधेयक में नकल और पर्चा लीक आदि परीक्षा से जुड़े कदाचार के मामलों में एक करोड़ रुपये तक के जुर्माने और 10 साल कैद का प्रविधान किया गया है। सभी तरह की सरकारी परीक्षाओं में किसी भी किस्म की गड़बड़ी करने वालों पर पूरी तरह लगम लगने के उद्देश्य से लाए गए इस विधेयक का मकसद देश के योग्य और प्रतिभावान युवाओं के साथ संगठित गिरोहों की हरकतों के कारण हो रही ज्यादती पर रोक लगाना भी है। हालांकि तमाम भर्ती परीक्षाओं में हो रही धांधलियों की रोकथाम के लिए कुछ राज्यों ने सख्ती की है। पेपर लीक जैसे मामलों में शमिल लोगें पर रासुका (राष्ट्रीय सुरक्षा कानून) के तहत कार्रवाई की गई हैं, लेकिन समय-समय पर आ रही कदाचार की घटनाओं से साबित हुआ है कि भर्ती परीक्षाओं में अवैध तरीकों से नैया पार लगाने की कोशिशें निरंतर जारी हैं। इसकी बड़ी वजह ऐसी धांधलियों के जरिये होने वाली बेहिसाब कमाई है, जिस कारण ऐसे काम संगठित गिरोह बनाकर अंजाम दिए जा रहे हैं।

 

उम्मीदवारों की हताशा जब कभी प्रतियोगी या प्रवेश परीक्षाओं में कदाचार की बात उठती है, तब सबसे बड़ा सवाल उम्मीदवारों की हताशा का आता है। अहम प्रतियोगी परीक्षाओं और प्रतिष्ठित कोर्सों की प्रवेश परीक्षाओं के पर्चे अगर पहले से लीक हो जाएं, भर्तियों में पैसे लेकर धांधली की जाए या सठगांठ कर नकल कराते हुए परीक्षार्थियों को उत्तीर्ण करा लिया जाए तो सबसे ज्याद कष्ट उन मेहनतकश परीक्षार्थियों को होता है, जो अपनी प्रतिभा के बल पर किसी परीक्षा मैं अपनी योग्यता साबित करने का प्रयस करते हैं। पेपर लीक से चंद खोखले छात्रों को फायदा जरूर होता है, लेकिन ये घटनाएं अन्य हजारों उम्मीदवारों और छात्रों के लिए बेहद कष्टकर होती हैं। कदाचार का यह अनवरत सिलसिला परीक्षार्थियों को परीक्षा के लिए दोबारा तैयारी करने से लेकर आने-जाने और तमाम खर्ची को वहन करने का ही विकल्प छोड़ता है, जिसकी भरपाई की कोई ठोस कोशिश हमारे देश में किसी सरकार ने नहीं की है। कभी-कभार कुछ राज्यों की सरकारों ने ऐसे मामले सामने आने पर परीक्षा की फीस दोबारा भरने से छूट जरूर दी और अभ्यर्थियों को रोडवेज की बसों में वापसी की मुफ्त यात्रा का विकल्प दिया, लेकिन इन हादसों से लगे घावों पर ऐसे मरहम ज्यत राहत नहीं देते ये घटनाएं लाखों बेरोजगारों की अत्यधिक आक्रोश से भर देती हैं। हालांकि योग्य छात्रों उम्मीदवारों को यह बर्दाश्त नहीं कि सिस्टम की खामियों का नतीजा वे भुगतें, लेकिन भविष्य में ऐसी घटनाएं फिर नहीं होंगे ऐसा आश्वासन कहीं से नहीं मिलता था।

 

समस्या की जड़ कहीं और असल में पिछले एक दशक में पर्चे लीक होने की घटनाओं का सिलसिला इतना बढ़ा है कि शायद ही कोई प्रतिष्ठित परीक्षा इसकी चपेट में आने से बच पाई हो। शिक्षक भर्ती के अलावा यूपी-पीसीएस, यूपी कंबाइड प्री-मेडिकल टेस्ट, यूपी- सीपीएमटी, एसएससी, ओएनजीस और रेलवे भर्ती बोर्ड की परीक्षाओं के पेपर हाल के कुछ वर्षों में बड़े पैमाने पर लीक हुए हैं। यह भी संभव है कि जी मामले उजागर नहीं हुए, वहां ऐसे चौर रास्तों से शायद सैकड़ों लोग नौकरी या प्रतिष्ठित कोर्स में दाखिला पा गए हों। चूंकि ये हादसे लाख इंतजामों और इनके गिरोहों के भंडाफोड़ और धरपकड़ के बाद भी धर्म नहीं हैं, इसलिए एक बड़ा सवाल यह है कि इस समस्या की जड़ कहीं और ती नहीं है? पेपर लीक कांडों का नहीं रुक पाना साबित करता है कि योग्यता का मापदंड तय करने वाली परीक्षा प्रणाली की व्यवस्था पूरी तरह लुंजपुंज हो गई है सरकारी व्यवस्था पर्चा लीक बाली घटनाओं को बहुत हल्के में लेती रही है, इसीलिए यह मर्ज लाइलाज बनता चला गया।

 

 

यही कारण है कि जिन परीक्षाओं को हर योग्यता का मानक बनाया गया है, वे परीक्षाएं ही बेमानं प्रतीत होने लगीं। इच्छाशक्ति से मिलेगा समाधान तंत्र की नाकामी और अधिकारियों की सुस्ती एवं पर्चा लीक कराने वाले अपराधियों पर कोई अंकुश लगना नामुमकिन नहीं है, बशर्तें सरकारें और संबंधित विभाग ऐसा करना चाहें इस समस्या का एक पहलू बेरोजगारी और सरकारी नौकरियों की बढ़ती चाहत से भी जुड़ा है। ऐसी ज्यादातर प्रतियोगी परीक्षाओं में कुछ सौ या हजार पदों के लिए आवेदकों की संख्या लाखों में होती है। शिक्षक भर्ती जैसी नौकरियों के लिए योग्यता हासिल करने वाली टीईटी और सीटीईटी जैसी प्रतियोगी परीक्षाएं तो एक कदम आगे बढ़ गई हैं। ये परीक्षाएं न तो कोई शैक्षिक योग्यता प्रदान करती हैं और न ही नौकरी दिलाती हैं, लेकिन नौकरी के लिए येग्य होने की ऐसी सीढ़ी बन गई हैं, जिसके माध्यम से नौकरी का कौरा आश्वासन ही मिलता है। फिर भी आलम यह है कि इनके आवेदकों की संख्या लाखों में होती है। इसी तरह अन्य सरकारी नौकरिये और मेडिकल एवं इंजीनियरिंग कालेजों की प्रवेश परीक्षओं में तो दसियों लाख परीक्षार्थियों का शामिल होना अब आम हो गया है। मांग ज्यादा और आपूर्ति कम होने की इन्हीं वजहों से सिस्टम में भ्रष्टाचार और अवैध हथकंड़ों की भूमिका बढ़ गई है। दूसरी तरफ समाज का एक खतरनाक रवैया भी सामने आया है, जिसमें लोग अपने बच्चों को सामाजिक प्रतिष्ठा दिलाने वाली सरकारी नौकरियों आदि की तरफ ठेलना चहते हैं।

 

इस मामले में वे यदि वैध तरीकों से सफल नहीं हो पाते हैं तो इसके गैरकानूनी रास्तों को आजमाते हैं। ऐसे ही लोगों में बहुत से ऐसे हैं, जो डोनेशन देकर अच्छे संस्थान की सीटें अपने बच्चों के लिए खरीदते हैं। यहां वे लोग हैं, जो किसी भी प्रवेश या भर्ती परीक्षा का पर्चा हासिल करने के हथकंडों को आजमाने की कोशिश करते हैं। इन्हीं लोगें की वजह से उन लाख युवाओं की मेहनत और प्रतिभा व्यर्थ हो जाती है, जो अपनी काबिलियत के बल पर अपना भविष्य बनाना चाहते हैं। हालांकि सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित सधनों की रोकथाम) विधेयक 2024 के प्रारूप और सुझावों को देखते हुए कहा जा सकता है कि ईमानदार और योग्य युवाओं की राह रोकने वाले भ्रष्ट तंत्र पर पहरा बैठाना और संगठित गिरोह के रूप में नकल आदि कदाचार को बढ़ावा देने वाले लोगें पर लगाम लगाना ज्या मुश्किल नहीं है। यह काम राजनीतिक इच्छाशक्ति के साथ कड़े कानून बनाने और उस पर अमल सुनिश्चित करने से हो सकता है। यहाँ यह समझने की जरूरत है कि परीक्षाओं को आनलाइन कर देने या पच की परीक्षा से पहले लाकरों में बंद कर देने भर से इंसान के अवगुणों पर पहरा नहीं बैठ जाता है। इसके लिए जरूरी है कि दोषियों की धरपकड़ हो और उन्हें सख्त सजा दी जाए। उम्मीद है कि परीक्षाओं में कदाचार रोकने संबंधी ताजा कानून पहल सिस्टम के दोषों को दूर करेगी और बेरोजगारी से बुरी तरह त्रस्त इस देश और इसके योग्य एवं प्रतिभावान युवाओं के सपनों को आकार देने संबंधी माहौल का सृजन करेगी।

स्वीकार का साहस

स्वीकार का साहस

विजय गर्ग

जिंदगी में सुकून, सम्मान और सफलता की चाहत हर किसी को होती है, लेकिन इसे पाने के लिए कुछ ऐसे नैतिक मूल्य हैं, जिनको अपनाना बेहद जरूरी है। बचपन से ही हमें सही ज्ञान, संस्कार और गुण मिले हैं, जिनसे हम सही गलत का बोध कर पाते हैं, सही दिशा का चुनाव कर पाते हैं, गलत चीजों को नकार पाते हैं तो यही हमारे व्यक्तित्व को ऊंचा उठाने में मदद करेगा । नेपोलियन हिल ने इस संदर्भ में बहुत अच्छी बात कही है कि जीवन संघर्ष में संस्कार, नैतिक मूल्य और मानवीय गुण एक व्यक्ति के सबसे बड़े शास्त्र और औजार होते हैं, जिनके माध्यम से वह जीवन को सुकूनदेह और सार्थक बना सकता है और सफल हो जाता है।

 

किसी भी देश, समाज या परिवार में रहने के कुछ कायदे होते हैं और इनके प्रति हमारी कुछ जिम्मेदारियां भी होती हैं। देश या समाज का नागरिक ही उसकी सबसे बड़ी ताकत होता है। अगर हम खुद को, अपने देश और समाज को सुकून, सम्मान और सफलता दिलाना चाहते हैं, तो अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों, जैसे कचरा और प्रदूषण न फैलाना, अवैध और गैरकानूनी कामों में लिप्त न रहना और लोगों की मदद करना आदि को अपने व्यक्तित्व में शामिल कर लेना चाहिए । विंस्टन चर्चिल ने कहा था कि महानता की कीमत जिम्मेदारी है। यानी हमको लोगों से सम्मान पाना है और एक सफल व लोकप्रिय इंसान बनना है तो समाज के प्रति जिम्मेदार, उदार और कर्तव्यनिष्ठ होना पड़ेगा। कहने का आशय यह कि समाज का जैसा व्यवहार हम अपने लिए अपने लिए अपेक्षा करते हैं, वैसा ही व्यवहार हमें समाज को देना चाहिए। तभी हम समाज से अच्छे व्यवहार का अधिकार पाने की उम्मीद कर सकते हैं। यों भी यह महत्त्वपूर्ण है कि हम दूसरों के प्रति वैसा ही व्यवहार करें, जैसे व्यवहार की हम दूसरों से अपने प्रति अपेक्षा करते हैं ।

 

दरअसल, संवेदनशीलता भी एक आवश्यक मानवीय गुण है। हम दूसरों के सुख-दुख, उनके दर्द का खयाल रखें और उनके प्रति नरमी और दयालुता का भाव रखें तो बदले में हमें भी दूसरों से ऐसा ही व्यवहार मिलता है। इससे सामाजिक दायरा भी बढ़ता है और हमारी विश्वसनीयता में भी इजाफा होता है । नतीजतन, हम अपने पेशेवर या कारोबारी जीवन में भी हर किसी के चहेते बन जाते हैं और सफलता की राह पर आगे बढ़ते चले जाते हैं। समाज में सम्मान उन्हीं लोगों को मिलता है जो दूसरों के प्रति संवेदनशील और परोपकारी होते हैं । यह गुण सफलता और मानसिक सुकून के लिए भी बेहद जरूरी है। दूसरों को दुख देने या परेशान करने की कोशिश करने में संलिप्त लोग हमेशा बेचैन रहते हैं और अपने ही व्यक्तित्व के दर्जे को कमतर करने में जाने-अनजाने सहभागी बनते हैं ।

 

कड़वे वचन हमेशा अप्रिय होते हैं। जीवन में सम्मान और सफलता पाने के लिए विनम्र होना बेहद जरूरी है। यह हम अपने अनुभव से भी समझ सकते हैं कि अगर कोई व्यक्ति हमसे नाहक ही कड़वी भाषा में बात करता है, तो हमें वह अच्छा नहीं लगता और कई बार उससे दुख भी पहुंचता है । विनम्रता सभ्य होने की निशानी है, जबकि कठोरता एक कमजोर आदमी की झूठी ताकत है, जिसके जरिए वह अपनी कमजोरी को छिपाने और दूसरों पर हावी होने की कोशिश करता है। विनम्रता दरअसल महानता को दर्शाती है और बड़प्पन की पहचान है। सफलता और विनम्रता साथ-साथ चलती है। एक विनम्र मगर कम प्रतिभाशाली इंसान जीवन में किसी ज्यादा प्रतिभाशाली, मगर अशिष्ट या कटु स्वभाव के इंसान से हमेशा आगे रहता है। कोई भी व्यक्ति अपने आसपास विनम्र व्यक्ति को ही पसंद करेगा।
आज जब हर तरफ अविश्वास और धोखाधड़ी का बोलबाला है। ऐसे में आज की दुनिया में आगे बढ़ने के लिए विश्वसनीयता बेहद आवश्यक है। साथ ही इससे मानसिक सुकून भी मिलता है, क्योंकि हमें कुछ छिपाने या खुद को बचाने के लिए ज्यादा माथापच्ची नहीं करनी पड़ती है। सिर्फ अपनी सेवाओं और उत्पाद ही नहीं, बल्कि वादों के प्रति ईमानदार रहना जरूरी है।

 

इस मसले पर व्यवहार विशेषज्ञों का कहना है कि कभी भी किसी ईमानदार आदमी को अपने स्वभाव और काम का विज्ञापन या प्रचार नहीं करना पड़ता । उसकी प्रशंसा अपने आप फैलती रहती है और लोग उसकी कद्र करते हैं । ईमानदार इंसान आसानी से लोगों का भरोसा जीत लेता है। हमेशा कुछ पाने और लोगों से लेने की कोशिश या चाहत कभी सम्मान नहीं दिला सकती। इसलिए त्याग न सिर्फ सामाजिक और व्यावसायिक जीवन में, व्यक्तिगत जीवन में भी जरूरी होता है। दोस्ती निभाने और परिवार को बांधकर रखने में भी इसका काफी महत्त्व है । निजी या पेशेवर जिंदगी में सुकून, सम्मान और सफलता के लिए त्याग की प्रवृत्ति बहुत जरूरी है। यहां त्याग का तात्पर्य धन-संपत्तिया मोहमाया त्याग कर तपस्या करने या साधु संन्यासी बन जाने से नहीं है। यहां त्याग का मतलब है किसी की बड़ी खुशी के लिए अपनी किसी छोटी खुशी या जिद का त्याग कर देना, किसी को सुख देने के लिए अपने अहंकार या क्रोध का त्याग कर देना, किसी ज्यादा जरूरतमंद या असहाय व्यक्ति के लिए अपनी बारी का त्याग करके उसको मौका दे देना। अपनी जरूरत से ज्यादा चीजों और संसाधनों पर कब्जा जमाए रखने की वास्तविकता की पहचान कर, उसे स्वीकार कर दूसरों के हक का हिस्सा उसे सम्मान से सौंपना ही असली त्याग और साहस है ।

क्या जेईई की तैयारी 12वीं कक्षा में उच्च अंक की गारंटी दे सकती है?

क्या जेईई की तैयारी 12वीं कक्षा में उच्च अंक की गारंटी दे सकती है?

 

विजय गर्ग

 

सीबीएसई/आईसीएसई/राज्य बोर्ड परीक्षा बनाम जेईई मेन: क्या जेईई की तैयारी 12वीं कक्षा में उच्च स्कोर की गारंटी दे सकती है?

 

 

संयुक्त प्रवेश परीक्षा (मुख्य) की तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों को अक्सर चुनौतीपूर्ण सवाल का सामना करना पड़ता है कि क्या जेईई मेन के लिए उनकी तैयारी के परिणामस्वरूप सीबीएसई/राज्य/आईसीएसई बोर्ड कक्षा 12 बोर्ड परीक्षाओं में अच्छा प्रदर्शन हो सकता है। आमतौर पर, जेईई मेन सत्र 1 सीबीएसई/राज्य/आईसीएसई 12वीं बोर्ड परीक्षा शुरू होने से 2-3 सप्ताह पहले होता है।

 

कई महत्वाकांक्षी इंजीनियर और आम जनता आमतौर पर मानते हैं कि जेईई मेन की तैयारी विज्ञान स्ट्रीम के लिए सीबीएसई/आईसीएसई/स्टेट 12वीं बोर्ड परीक्षा के परिणामों पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। हालाँकि, यह निर्धारित करना कि क्या जेईई की तैयारी कक्षा 12 सीबीएसई/राज्य/आईसीएसई बोर्ड परीक्षा में उच्च अंक सुनिश्चित कर सकती है, एक जटिल प्रश्न है जिसका कोई सरल उत्तर नहीं है। परिणाम विभिन्न कारकों पर निर्भर करता है:

 

सिलेबस में समानता

जेईई मेन और सीबीएसई/राज्य/आईसीएसई कक्षा 12 दोनों में भौतिकी, रसायन विज्ञान और गणित के विषय कई सामान्य विषयों को साझा करते हैं। इसका मतलब यह है कि यदि आप जेईई की तैयारी पर ध्यान केंद्रित करते हैं, तो आप स्वचालित रूप से सीबीएसई/राज्य/आईसीएसई पाठ्यक्रम का एक अच्छा हिस्सा पढ़ लेंगे। हालाँकि, यह समझना महत्वपूर्ण है कि जेईई मेन विशिष्ट अवधारणाओं पर अधिक विस्तार से बताता है और इसमें अतिरिक्त विषय भी शामिल हैं जो सीबीएसई/राज्य पाठ्यक्रम में नहीं पाए जाते हैं। इसके अतिरिक्त, सीबीएसई/राज्य/आईसीएसई बोर्ड अंग्रेजी, हिंदी और अन्य ऐच्छिक जैसे विषयों को कवर करते हैं, जो जेईई के लिए प्रासंगिक नहीं हैं।

 

सीबीएसई/आईसीएसई/राज्य बोर्ड स्कोर पर जेईई तैयारी का प्रभाव

सकारात्मक प्रभाव: जेईई के लिए अच्छी तैयारी करने से निश्चित रूप से भौतिकी, रसायन विज्ञान और गणित की आपकी समझ में वृद्धि हो सकती है, जिससे संभवतः आपके सीबीएसई/राज्य/आईसीएसई बोर्ड के दौरान इन विषयों में बेहतर स्कोर प्राप्त होंगे। जेईई की तैयारी में नियोजित व्यावहारिक दृष्टिकोण आपके समस्या-समाधान कौशल को भी मजबूत कर सकता है, जो सीबीएसई/आईसीएसई/राज्य बोर्ड परीक्षाओं के लिए फायदेमंद है।

 

नकारात्मक प्रभाव: हालाँकि, केवल जेईई की तैयारी पर ध्यान केंद्रित करने से आपके सीबीएसई/आईसीएसई बोर्ड में अन्य विषयों की उपेक्षा हो सकती है, जिससे संभावित रूप से आपके समग्र स्कोर पर असर पड़ सकता है। साथ ही, जेईई की तैयारी की तेज़ गति और प्रतिस्पर्धी प्रकृति सीबीएसई/आईसीएसई/राज्य बोर्ड परीक्षाओं के व्यापक संदर्भ के अनुरूप नहीं हो सकती है।

 

 

विचार करने योग्य कारक

व्यक्तिगत सीखने की शैली: कुछ छात्र तनावपूर्ण और प्रतिस्पर्धी स्थितियों में अच्छा प्रदर्शन करते हैं, जबकि अन्य अधिक संरचित और संतुलित दृष्टिकोण पसंद करते हैं। सीखने की शैलियों में विविधता इस बात पर प्रभाव डाल सकती है कि संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) की तैयारी केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई/राज्य/आईसीएसई बोर्ड) के अंकों के साथ कितनी प्रभावी ढंग से संरेखित होती है।

 

परीक्षा रणनीति: जब संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) की बात आती है, तो अपने ज्ञान को शीघ्रता से लागू करने पर ध्यान केंद्रित करना महत्वपूर्ण है। इसके विपरीत, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई/राज्य/आईसीएसई) बोर्ड परीक्षाओं के लिए सभी विषयों पर गहरी पकड़ और अपने समय को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने की क्षमता की आवश्यकता होती है।

समय प्रबंधन: दोनों परीक्षाओं के लिए तैयारी करते समय अपने समय का प्रभावी ढंग से प्रबंधन करना महत्वपूर्ण है। प्रत्येक विषय के लिए अपना समय उचित रूप से आवंटित करना, उनके महत्व को ध्यान में रखना और अपनी व्यक्तिगत शक्तियों और कमजोरियों पर विचार करना महत्वपूर्ण है।

 

जेईई की तैयारी आपको अपने सीबीएसई/राज्य/आईसीएसई बोर्डों में भौतिकी, रसायन विज्ञान और गणित में अच्छा स्कोर करने के लिए एक मजबूत आधार बनाने में मदद कर सकती है। हालाँकि, यह सफलता का कोई गारंटीकृत मार्ग नहीं है। केवल जेईई पर ध्यान केंद्रित करने से आप अन्य विषयों की उपेक्षा कर सकते हैं और यह हर किसी के लिए सबसे अच्छी रणनीति नहीं हो सकती है।

Ghaziabad Name Change:गाजियाबाद जिले का नाम अब बदला जायेगा क्या हो सकता है नाम आइये जानते है

Ghaziabad Name Change:गाजियाबाद जिले का नाम अब बदला जायेगा क्या हो सकता है नाम आइये जानते है

Ghaziabad Name Change गाजियाबाद का नाम बदलने का प्रस्ताव मंगलवार को सदन के समक्ष पेश किया गया मेयर ने कहा कि DISTIC का नाम बदलने का फैसलाको शासन लेना है नया नाम भी शासन ही तय करेगा । प्रस्ताव पास होते ही सदन में भारत माता की जय के नारे लगने लगे । नगरप्रमुख सुनीता दयाल ने बताया कि जल्द ही इस proposal को शासन को भेज दिया जाएगा।

News summary

  1. राजा गाजीउद्दीन की याद दिलाने के लिए रखा गया था नाम
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      • मुग़ल शासक गाज़ीउद्दीन के नाम पर रखे जाने वाले जिले को इसके ऐतिहासिक जड़ों को बचाने या एक नए पहचान को अपनाने पर विचार किया जा रहा है।
  2. मुख्यमंत्री एनडी तिवारी ने गाजियाबाद को मेरठ से किया था अलग

14 नवंबर 1976 को तत्कालीन मुख्यमंत्री एनडी तिवारी ने गाजियाबाद को मेरठ से अलग कर जिला घोषित किया, लेकिन नाम नहीं बदला था |

  1. “नाम बदलने का प्रस्ताव निगम से पास
    • प्रस्ताव पास होते ही सदन में भारत माता की जय के नारे लगने लगे । नगरप्रमुख सुनीता दयाल ने बताया कि जल्द ही इस proposal को शासन को भेज दिया जाएगा।
  2. “पहचान का परिवर्तन: गाजियाबाद नए युग का आगाज़”
    • गाजियाबाद के नाम बदलने के प्रस्ताव के साथ, शहर एक संभावित परिवर्तन का सामना कर रहा है, जो इसके ऐतिहासिक मूलों और भविष्य की पहचान पर विचार कर रहा है।

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अखंड सौभाग्य के लिए सौभाग्य सुंदरी व्रत

अखंड सौभाग्य के लिए सौभाग्य सुंदरी व्रत

 

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अशोक “प्रवृद्ध”

भारतीय पंचांग के अनुसार महीने में दो बार, पूर्णिमा और अमावस्या के बाद तीसरे दिन आने वाली तीसरी तिथि को तृतीया तिथि कहते हैं। पूर्णिमा के बाद आने वाली तृतीया को कृष्ण पक्ष की तृतीया और अमावस्या से आगे आने वाली तृतीया को शुक्ल पक्ष की तृतीया कहते हैं। पौराणिक मान्यताओं में तृतीया तिथि माता गौरी अर्थात देवी पार्वती की जन्म तिथि मानी जाती है। तृतीया तिथि की स्वामिनी माता गौरी हैं। तृतीया तिथि कार्यों में विजय प्रदान करने वाली होने के कारण इस तिथि को जया तिथि के अन्तर्गत रखा गया है। किसी भी कार्य में विजय प्राप्त करने के लिए इस तिथि का चयन अतिशुभ और पूर्णतः अनुकूल माना जाता है। इस तिथि में सैन्य, शक्ति संग्रह, न्यायालयीन कार्यों के निष्पादन, शस्त्र क्रय, वाहन क्रय आदि कार्य करना शुभ माना जाता है। दोनों ही पक्षों की तृतीया तिथि को भगवान शिव के क्रीड़ारत रहने के कारण तृतीया तिथि में भगवान शिव का पूजन नहीं करने की मान्यता है। इसीलिए तृतीया तिथि को शिवपत्नी माता गौरी की पूजा का विधान है। यही कारण है कि माता गौरी अथवा भगवान शिव और उनकी अर्द्धांगिनी पार्वती की संयुक्त पूजन से संबंधित अनेक व्रत, पर्व व त्योहार तृतीया तिथि को मनाई जाती है। कज्जली तृतीया, गौरी तृतीया, हरितालिका तृतीया, सौभाग्य सुंदरी आदि अनेक व्रत और पर्वों का आयोजन किसी न किसी माह की तृतीया तिथि के दिन ही संपन्न होता है। चैत्र शुक्ल तृतीया को गणगौर तृतीया, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन अक्षय तृतीया, ज्येष्ठ शुक्ल तृतीया के दिन रम्भा तृतीया, श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को तीज उत्सव, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को वाराह जयंती मनाए जाने की परंपरा है। इस तिथि में जन्म लेने वाले व्यक्ति के लिए भी माता गौरी की पूजा करना कल्याणकारी माना गया है। मान्यता है कि मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को देवी पार्वती ने अपनी कठिन तपस्या के बल पर भगवान शिव को वर के रूप में प्राप्त किया था।

 

 

तत्पश्चात गणेश और कार्तिकेय नामक दो पुत्रों की माता बनी। उसी समय से माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए मार्गशीर्ष अर्थात अगहन महीने के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को सौभाग्य सुंदरी व्रत की परंपरा शुरू हुई। सौभाग्य सुंदरी नामक यह व्रत मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को अखंड सौभाग्य की सौंदर्य की कामना से विशेषकर महिलाओं के द्वारा किया जाता है। सनातन धर्म में मार्गशीर्ष कृष्ण तृतीया को मनाई जाने वाली सौभाग्य सुंदरी व्रत का महिलाओं के लिए बहुत ही खास महत्व है। मान्यता है कि यह महिलाओं को पुण्य फल प्रदान करता है और जीवन में आने वाले संकटों से भी बचाता है। इस वर्ष 2023 में मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि 30 नवम्बर बृहस्पतिवार के दिन पड़ने के कारण इस दिन सौभाग्य सुंदरी व्रत मनाई जाएगी। इस दिन महिलाएं अखंड सौभाग्य की कामना से भगवान शिव, माता पार्वती और उनके पुत्र गणेश व कार्तिकेय का पूजन करती हैं। दांपत्य जीवन में प्रसन्नता और संतान की लंबी उम्र का आशीर्वाद मिलने की मान्यता होने के कारण इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार कर विधि-विधान से भगवान शिव व माता पार्वती का पूजन करती हैं।

 

 

सौभाग्य सुंदरी व्रत के दिन ब्रह्म बेला में जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत होकर हाथ में जल ले व्रत का संकल्प लेकर और मंदिर की साफ-सफाई करना चाहिए। तत्पश्चात एक चौकी पर लाल अथवा पीले रंग का वस्त्र बिछ़ाकर उस पर भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश की मूर्ति स्थापित करना चाहिए। फिर माता पार्वती को सिंदूर का तिलक लगाना और भगवान शिव व गणेश को हल्दी अथवा चंदन का तिलक करना चाहिए। एक जल से भरा कलश स्थापित कर धूप -दीप जलाकर पूजा आरम्भ करना चाहिए। सर्वप्रथम भगवान गणेश की पूजा करना चाहिए। उनको जल से छींटे लगा फिर रोली से तिलक कर अक्षत लगाना चाहिए। मौली मोली चढ़ा चंदन व सिंदूर लगाना चाहिए। फिर फूलमाला और फल अर्पित करना चाहिए। गणेश को भोग के साथ सूखे मेवे, पान, सुपारी, लौंग, इलायची और दक्षिणा भी चढ़ाना शुभ माना गया है। फिर नवग्रह की पूजा करना चाहिए। भगवान कार्तिकेय की पूजा करना चाहिए। तत्पश्चात देवी पार्वती और भगवान शिव की पूजा करना चाहिए।

 

माता पार्वती की पूजा के लिए देवी पार्वती की प्रतिमा को दूध, दही और जल स्नान कराकर उन्हें वस्त्र पहनाकर रोली चावल से तिलक करना चाहिए, मौली चढ़ाना चाहिए। उन्हें पुष्प अर्पित कर एक पान में दो सुपारी, दो लौंग, दो हरी इलाचयी, एक बताशा और एक रुपए रख चढ़ाकर माता पार्वती को सोलह श्रृंगार का सामान अर्पित करना चाहिए, घी का दीपक जलाना चाहिए और फिर मीठे का भोग लगा व्रत कथा का पठन अथवा श्रवण करना चाहिए। व्रत कथा पठन अथवा श्रवण के बाद चालीसा का पाठ करना शुभ माना गया है। माता पार्वती को अर्पित किया गया सोलह श्रृंगार बाद में व्रती महिलायें स्वयंके उपयोग में ला सकती है। देवी पार्वती की पूजा करते समय माता पार्वती से हाथ जोड़कर माता से दुखों और पापों का नाश करने, आरोग्य, सौभाग्य, ऋद्धि -सिद्धि और उत्तम संतान प्रदान करने की प्रार्थना करते हुए इस मंत्र का जाप करना चाहिए –
ॐ उमाये नम:।
देवी देइ उमे गौरी त्राहि मांग करुणानिधे माम् अपरार्धा शानतव्य भक्ति मुक्ति प्रदा भव।।

 

तत्पश्चात भगवान शिव का दूध और जल से अभिषेक करना चाहिए। बेलपत्र, आंकड़े और धतुरा अर्पित करना चाहिए। रोली-चावल से तिलक करना चाहिए। फल- फूल अर्पित कर भोग लगाना चाहिए, सूखे मेवे, और दक्षिणा अर्पित करना चाहिए। भगवान शिव की पूजा करते समय ॐ नम: शिवाय- इस मंत्र का जाप करना चाहिए। माता पार्वती के तीज माता से संबंधित कथा का पाठ व श्रवण करना चाहिए। फिर उसके बाद माता पार्वती और भगवान शिव की आरती करना चाहिए। पूजा के बाद अपने परिवार की खुशहाली की कामना करना चाहिए।

 

तीज और करवा चौथ की भांति महत्वपूर्ण सौभाग्य सुंदरी व्रत जीवन में सकारात्मकता और सौभाग्य लाने के लिए मनाया जाता है। महिलाएं पति और संतान सुख के लिए पूजा-अनुष्ठान कार्य करती हैं। विवाह दोष से मुक्त होने और विवाह में देरी को दूर करने के लिए अविवाहित कन्याएं भी इस व्रत को करती हैं। मांगलिक दोष और कुंडली में प्रतिकूल ग्रह दोषों को समाप्त करने के लिए भी यह व्रत किया जाता है। सौभाग्य सुंदरी व्रत महिलाओं के लिए अखंड सौभाग्य का वरदान होता है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से विवाहित महिलाओं के घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है और अखंड सौभाग्य बना रहता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार सौभाग्य सुंदरी व्रत करने से वैवाहिक जीवन का दोष भी दूर होता है और पति-पत्नी में प्रेम बना रहता है। यदि किसी लड़की के विवाह में देरी हो रही हो तो वो परेशानी भी ये व्रत करने से दूर हो सकती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सौभाग्य सुंदरी व्रत करने से पति और संतान की उम्र बढ़ती है और उनके जीवन में खुशियां बनी रहती हैं। जिन महिलाओं को वैवाहिक जीवन में कष्टों का सामना करना पड़ रहा है और जिन अविवाहित लड़कियों के विवाह में देरी हो रही हो उन्हें ये व्रत अवश्य करना चाहिए।

दूसरे देशों मे दी जाने वाली सज़ा पर जरा गौर फरमाए- लव जिहाद 

दूसरे देशों मे दी जाने वाली सज़ा पर जरा गौर फरमाए- लव जिहाद 

वीना आडवाणी तन्वीनागपुर, महाराष्ट्र
वीना आडवाणी तन्वी नागपुर, महाराष्ट्र
आज बहुत ही गहरी सोच मे डूबी थी और मैं यही सोच रही थी कि आखिर, क्या कारण है कि हमें कभी भी विदेशों से बलात्कार, लड़कियों की हत्या बलात्कार के बाद, क्यों इस प्रकार की खबर सुनने को नहीं मिलती है कि फलाने देश में लड़कियों का बलात्कार हुआ या लड़की का बलात्कार करने के बाद बहुत ही बुरी तरीके से सरेआम कत्ल कर दिया गया। बलात्कार के लिए लड़कियों का कहीं पर भी अपहरण किया गया। लड़कियों ने शादी करने से मना कर दिया हो तो उन्हें सरेआम रास्ते पर मार देना इस तरह की खबर भी हमने कभी नहीं सुनी, चलती बस में लड़की का बलात्कार कर कर निर्भया हत्याकांड जैसी खबर तो केवल भारत देश में ही सुनने को मिली सरे राह पर पेट्रोल जलाकर एक पशु चिकित्सक जो कि महिला थी उसको भी जला दिया गया आखिर क्यों? सिर्फ आतंकी क्षेत्रों को छोड़कर दूसरे क्षेत्रों से इस तरह की या यह कहें कि दूसरे देशों से इस तरह की खबर नहीं आती उदाहरण के तौर पर चीन जापान सिंगापुर आदि ऐसे कई प्रतिष्ठित देश है जहां से इस तरह की खबर नहीं आती।
यदि वर्ष 2022 से देखा जाए तो 2023 के आते आते ही न जाने कितनी बेटियां बलात्कार के बाद मौत के घाट उतार दी गई। और फिर इस तरह के जघन्य हत्याकांड को नाम दे दिया गया लव जिहाद। जब इस तरह के हत्याकांड हुए तो दोष हिंदू बेटियों को दिया गया कि वह छोटे-छोटे तंग कपड़े पहनती हैं खुले विचारों की है देर रात तक घूमती हैं वगैरह-वगैरह। जबकि इसके विपरीत है देखा जाए तो विदेश में रहने वाली महिलाएं भारतीय महिलाओं से भी अधिक खुले विचारों की है। देर रात तक पबों में जाना, शराब पीना, छोटे-छोटे बहुत ही ज्यादा तंग कपड़े पहनना, देर रात तक सड़कों पर घूमना इत्यादि पर अगर हम गौर फरमाए तो भारतीयों से अधिक तो विदेश में रहने वाली महिलाएं आजाद हैं या यह कहें कि खुले विचारों वाली है तो वहां महिलाएं इतनी बेफिक्र होकर कैसे घूम सकती हैं। हमारे भारत देश में चलिए पूरी तरह नहीं मानते हैं परंतु 60% महिलाएं आज भी भारतीय परंपराओं को अपनाते हुए अपने तन को ढक कर रखती है। उसके बावजूद भी भारत देश में इस तरह के जघन्य अपराध होते हैं विदेशी महिलाओं के साथ इस तरह के जघन्य अपराध क्यों नहीं होते हैं। जानते हैं इसके पीछे बहुत बड़ा कारण है। उसका कारण है हमारे देश की न्याय प्रक्रिया में कमी हमारे देश मे बलात्कार के अपराधी को सजा देने में कमी।
आज मैं इसी खोज में गूगल पर सर्च करने लगी कि हर देश में बलात्कारी के लिए क्या सजा तय की गई है। सबसे अधिक जो सजा मैंने इस्लाम धर्म में पाई है, वह यह है कि यदि कोई इस्लाम धर्म का किसी महिला के साथ बलात्कार करता है तो उसके गुप्तांग को ही काट दिया जाता है या क्षतिग्रस्त कर दिया जाता है ताकि वह जिंदगी भर किसी के भी काबिल ना रहे और इस तरह का जघन्य अपराध ना कर सके।
जब मैंने चीन देश के बलात्कार के संबंध में दी जाने वाली सजा को पढ़ा तो चौंकाने वाला तथ्य सामने यहां आया कि बलात्कारी को फांसी की सजा दी जाती है साथ ही उसके गुप्ता को भी क्षतिग्रस्त कर दिया जाता है।
मिस्र देश में भी सरेआम दुनिया के सामने गोली मार दी जाती है और गुप्तांग को क्षतिग्रस्त कर दिया जाता है।
इस्लाम धर्म में बलात्कार के बदले में दी जाने वाली सजा को सुनकर कोई भी बलात्कार करने से पहले लड़का दस बार सोचता है। उसकी रूह सोच कर ही कांप उठती है कि मैं बलात्कार कैसे कर सकता हूं यदि मैंने अपने जिस्म की भूख मिटाने के लिए बलात्कार किया तो मेरा गुप्तांग ही काट दिया जाएगा। जिसके डर से वह ऐसा अपराध कर ही नहीं पाता है।
हमारे हिंदू समुदाय में ऐसी कोई भी सजा तय नहीं की गई है खास करके भारत देश में जिसके कारण अपराधियों के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं। यह कहा जा रहा है कि इस्लाम धर्म के लड़के अपना नाम बदलकर लड़कियों को अपने जाल में फंसा रहे हैं और उनके साथ बलात्कार कर उन्हें बहुत ही बुरी तरीके से मार रहे हैं और नाम दे रहे हैं लव जिहाद जानते हैं इसका कारण क्या है इसका कारण है हारमोंस, आज की नव युवा पीढ़ी मे हर किसी को अपनी एक गर्ल्फ्रेंड चाहिए। सभी को पता है कि इस्लाम धर्म में यदि उन्होंने अपने ही धर्म की किसी लड़की को फसाया और उसके साथ कोई ऐसा अपराध किया तो उनके गुप्तांग को काट दिया जाएगा या उन्हें फांसी की सजा दी जाएगी। इसलिए अब क्यों वह अपने ही धर्म की लड़कियों को नहीं फंसाते। इस विषय पर गहराई से सोच कर देखिए गा और मेरी तरह आप भी गूगल पर एक बार सर्च करिएगा कि विभिन्न देशों में बलात्कार की सजा क्या है और हमारे भारत देश में बलात्कार की सजा क्या है जमीन आसमान का अंतर पाएंगे दूसरी कमी हमारे देश में मिलने वाले न्याय की प्रक्रिया बहुत धीमी गति से चलती है जबकि दूसरे देशों में न्याय प्रक्रिया बहुत ही तेजी से चलती है जिसके चलते वहां पर बहुत सारे केस सालों साल तक नहीं चलते।
जैसा कि मैंने आपको बताया था की बलात्कार का कारण हारमोंस है, जी हां जैसे-जैसे नव युवकों की उम्र बढ़ती जाती है उनके शरीर में हारमोंस बदलते रहते हैं इसी हारमोंस के बदलने के कारण लड़कों का या लड़कियों का विपरीत लिंग की तरफ आकर्षित होना स्वभाविक है। इसे तो कोई भी नहीं बदल सकता बस यह है कि हिंदुओं में बलात्कार के लिए कोई कड़ा नियम ना होने के कारण आए दिन कभी श्रद्धा, कभी साक्षी, तो कभी कोई ओर इस बलात्कार की सूली पर चढ़ती ही रहेंगी हिंदु बेटियां और ऐसे ही हिंदू लड़कियों की हत्याएं होती भी रहेंगी। इस्लाम धर्म की लड़कियों के साथ ऐसा इसलिए नहीं होता है क्योंकि इस्लाम धर्म के अंतर्गत हर कोई जानता है कि यदि हमने इस तरह का अपराध किया तो हमारे या तो गुप्तांग काट दिए जाएंगे या तो हमें फांसी के तख्ते पर चढ़ा दिया जाएगा या तो हमें ऐसा बना दिया जाएगा की हम ताउम्र अपनी औलाद के लिए तरसते रहें मतलब नपुंसक।
अब आप सोचिएगा, हार्मोन्स का बदलना या उसे रोकना हमारे हाथ में नही है। परंतु हिंदु धर्म मे भी बलात्कार के लिए कड़ी सज़ा को लाना बहुत ही जरूरी है। ताकी फिर कोई भी, किसी भी धर्म का लड़का हिंदू बेटियों को छूने से पहले कतराए और ना हो फिर से कोई भी कहीं भी बेटी लव जिहाद का शिकार।
फिर आप ही सभी देखियेगा दूसरे धर्म कि बेटियों बेटों की तरह भी हिंदु धर्म की बेटी बेटों की तरफ कोई भी आंख उठाकर नहीं देखेगा। देखने से पहले वो दी जाने वाले क्रूरता से भरी दी जाने वाली सजा के बारे में सोचेगा। जिस तरह एक इस्लाम धर्म का लड़का अपने ही धर्म की लड़कियों की ओर सजा के डर से नज़र उठा के नहीं देखता ठीक उसी तरह हमारे हिंदुओं में भी ऐसी ही सजा दी जाए की कोई भी धर्म का लड़का हिंदु न्याय प्रक्रिया की ओर पहले ध्यान दे और उसकी रूह कांप उठे किसी अपराध मतलब बलात्कार को करने से पहले।
वीना आडवाणी तन्वी
नागपुर, महाराष्ट्र
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आजसू जिला अध्यक्ष ने केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के सचिव को लिखा पत्र

आजसू जिला अध्यक्ष ने केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के सचिव को लिखा पत्र

निगम क्षेत्र के अलावे जिले के विभिन्न जगहों पर रोलर क्रैश बैरियर लगाने की मांग

देवघर। आजसू पार्टी देवघर जिला अध्यक्ष आदर्श लक्ष्य द्वारा केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के सचिव को पत्र लिखकर देवघर जिले में विभिन्न तीखे मोड़ों पर रोलर क्रैश बैरियर लगाने की मांग की है।

 

 

 

विशेष कर देवघर तपोवन हिंडोलावरण मार्ग पर ब्रह्मपुर,नवाडीह, बारा-सिरसा और कटवन टर्निंग पॉइंट पर,देवघर देवीपुर मुख्य मार्ग तिलजोड़ी मोड़ पर,देवीपुर पोस्ट ऑफिस के पास,पारसबानी के पास, बेनीडीह के पास,बूढ़ई नदी के पहले शराब दुकान के पास, बुढ़ई भीड़खीबाद मार्ग पर भीड़खीबाद मोड पर,सरपता के पास,गिरिडीह – मधुपुर मुख्य मार्ग पर पिंडरा के पास,सुगापहाड़ी के पास,फतेहपुर के पास,लखना मोहल्ला के पास देवघर सारठ मुख्य मार्ग पर घोरपरास के पास, कुशमाहा मोड़ के पास,भंडारों के पास, बाडीडीह के पास,बाराटांड मोड़ के पास,मधुपुर – सारठ मुख्य मार्ग पर संताली-सिमरा के पास, ओराजोड़ी के पास,बभनगामा के पास रोलर क्रेश वैरियर लगाना बहुत जरूरी है।

 

 

 

इस संबंध में आजसू पार्टी के देवघर जिला अध्यक्ष आदर्श लक्ष्य द्वारा कहा गया कि सभी उक्त स्थानों पर आए दिन बड़ी-बड़ी दुर्घटनाएं होती रहती है, जिसमें कई लोगों की जान जा चुकी है।परिवहन विभाग द्वारा इन सभी स्थानों की पहचान कर उक्त सभी स्थानों को ब्लैक स्पॉट के रूप में चिन्हित करते हुए उन सभी स्थानों पर रोलर क्रैश बैरियर लगना अनिवार्य है।उक्त सभी जगहों का चौड़ीकरण भी किया जाना जरूरी है।रोलर क्रैश बैरियर एक तरह का डिवाइडर है।इसके लग जाने से तीखे मोड़ों पर गाड़ियां डिवाइडर से टकराने के बाद नहीं पलटेगी।

 

 

जब कोई भी वाहन इस तरह के डिवाइडर से टकराता है तो रोलर क्रैश बैरियर से टक्कर खाने के बाद वाहन सड़क पर सीधा ही रहता है।देवघर में पहले भी रोलर क्रैश बैरियर देवघर मोहनपुर मार्ग पर और डिग्रियां पहाड़ के समीप लग चुका है।

स्वामी विवेकानंद प्रतियोगिता के विजयी प्रतिभागियों को किया गया पुरस्कृत

स्वामी विवेकानंद प्रतियोगिता के विजयी प्रतिभागियों को किया गया पुरस्कृत

 

खबरों की तह तक

देवघर। पिछले दिनों भारत के कई राज्यों में स्वामी विवेकानंद की जयंती के अवसर पर रंगभरो एवं निबंध लेखन प्रतियोगिताओं का आयोजन हुआ था जिसमें हजारों की संख्या में प्रतिभागियों की भागीदारी हुई थी।आज स्थानीय विजेताओं को विवेकानंद संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह स्वामी विवेकानंद राष्ट्रीय शिखर सम्मान पुरस्कार विजेता डॉ. प्रदीप कुमार सिंह देव, संत माईकल एंग्लो विद्यालय के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. जय चन्द्र राज एवं आर.सी. भौमिक मेमोरियल ट्रस्ट के संस्थापक न्यासी राजर्षि भौमिक के करकमलों से पुरस्कृत किया गया।

 

 

 

 

 

निबंध लेखन प्रतियोगिता में देवघर महाविद्यालय की पूर्व छात्रा रितु कुमारी, देवसंघ नेशनल स्कूल की शाम्भवी सागर, माउंट लिटेरा जी स्कूल की प्रीति कुमारी, दीनबंधु उच्च विद्यालय की स्वीटी कुमारी, सुप्रभा शिक्षा स्थली के सार्थक अग्रवाल, साक्षी अग्रवाल, देव वैली हाई स्कूल के रौनक केशरी, राजकीय कन्या मध्य विद्यालय की गुनगुन केशरी, भारती विद्यापीठ मोनिका कुमारी, अमृता कुमारी व लक्ष्मी कुमारी यादव, ब्राइट कैरियर स्कूल ली खुशी चौधरी, राशि कुमारी, अंजली कुमारी, रिया कुमारी व रीता कुमारी एवं सेक्रेड हार्ट स्कूल, दुमका के सौम्य सौर्य का चयन जिला स्तर में हुआ है।

 

 

इसी प्रतियोगिता के रंगभरो में स्कूल ऑफ आर्ट, दुमका की आद्या गोराई व आरुषि गोराई, ब्राइट कैरियर स्कूल की राशि कुमारी, खुशी चौधरी, माउंट लिटेरा जी स्कूल की प्रीति कुमारी, डिनोबिलि स्कूल, धनबाद के यश कुमार, गीता देवी डीएवी पब्लिक स्कूल के कुमार शाम्भव रघुवीर, आर्या किशोर वर्णवाल, डिवाइन पब्लिक स्कूल के आदर्श केशरी व श्रेया केशरी, सनराइज द्वारिका एकेडमी की सोनाक्षी श्री, देवघर संत फ्रांसिस स्कूल के नायरा राज, दीनबंधु उच्च विद्यालय की स्वीटी कुमारी, राजकीय कन्या मध्य विद्यालय की ऋषिका राउत, देवसंघ नेशनल स्कूल की शाम्भवी सागर, देवघर महाविद्यालय की पूर्व छात्रा रितु कुमारी, भारती विद्यापीठ की मोनिका कुमारी, सरस्वती शिशु मंदिर, बांका के आदित्य कुमार व अन्य का नाम शामिल है।

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