नई दिल्ली : उन्नाव की दुष्कर्म पीड़िता ज़िंदगी और मौत के बीच जूझ रही है। पीड़िता ने आरोपी कुलदीप सेंगर से मिल रही धमकियों के बीच सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को 12 जुलाई को चिट्‌ठी लिखी थी। चिट्‌ठी सीजेआई तक पहुंचती, उससे पहले ही पीड़िता की कार को ट्रक ने टक्कर मार दी।
पूरे घटनाक्रम के बीच सवाल यह है कि आखिर पीड़िता की चिट्‌ठी सीजेआई को क्यों नहीं मिली? दरअसल सुप्रीम कोर्ट को हर महीने औसतन पांच हजार पत्र मिलते हैं। जुलाई के महीने में तो 6900 पत्र मिले। सीजेआई द्वारा चिट्‌ठी न मिलने की वजह पूछे जाने पर सेक्रेटरी जनरल ने जवाब में कहा है-पीड़िता की मां के पत्र को चीफ जस्टिस तक पहुंचाने में देरी जान-बूझकर नहीं की गई है। चूंकि उन्हें न पीड़िता, न ही उसकी मां का नाम मालूम था, ऐसे में पत्र के आने का पता नहीं चला।
सीजेआई तक चिट्‌ठी पहुंचने के 8 चरण

  1. सबसे पहले पत्र सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्री विभाग में आता है। हर पत्र की एंट्री की जाती है।
  2. सभी पत्र रिसिप्ट एंड इश्यू सेक्शन में भेजे जाते हैं। यहां पत्रों को पढ़कर उनका वर्गीकरण किया जाता है। यहां जजों के खिलाफ, वकीलों के खिलाफ व अन्य मामलों से जुड़े पत्रों को अलग किया जाता है।
  3. अब बारी आती है विशेष कमेटी की। कमेटी पत्रों को अलग-अलग कमेटियों तक भेजती है। उदाहरण के तौर पर जजों के खिलाफ शिकायत है तो उसे इसके लिए बनी विशेष कमेटी को प्रेषित कर दिया जाता है।
  4. सीलबंद पत्रों को खोलकर पर्सनल सेक्रेटरी जांच करते हैं। और प्राथमिकता के आधार पर उनका वर्गीकरण करते हैं।
  5. गंभीर मामलों से जुड़े पत्र रजिस्ट्रार जनरल के पास भेजे जाते हैं।
  6. रजिस्ट्रार जनरल प्राप्त होने वाले सभी पत्रों को लेकर एक संक्षिप्त नोट तैयार करता है।
  7. रजिस्ट्रार जनरल अहम मामलों को चीफ जस्टिस के प्राइवेट सेक्रेटरी को प्रेषित करता है।
  8. सबसे अंत में प्राइवेट सेक्रेटरी अहम पत्रों को चीफ जस्टिस को दिखाकर निर्देश लेता है।