देवघर/संवाददाता : दिनांक 25.04.2019 को डाॅ0 सुधीर प्रसाद, प्रभारी सिविल सर्जन-सह-जिला भी0बी0डी0 पदाधिकारी, देवघर की अध्यक्षता में आर0 मित्रा +2 विद्यालय, देवघर में ’’विश्व मलेरिया दिवस’’ (WMD) कार्यक्रम की थीम -’’हमसे प्रारंभ होता है. मलेरिया का अंत’’ (Zero Malaria Starts With Me के साथ मनाया गया.
कार्यक्रम का उद्घाटन डाॅ0 सुधीर प्रसाद, प्रभारी सिविल सर्जन महोदय -सह- जिला भी0बी0डी0 पदाधिकारी, देवघर द्वारा आर0 मित्रा +2 विद्यालय, देवघर में करते हुए. दिनांक 25 अप्रैल 2019 को मनाये जा रहे विश्व मलेरिया दिवस की महत्ता एवं उद्देष्य पर प्रकाष डाला गया. इस अवसर पर क्विीज कार्यक्रम आयोजित किया गया. इसके पूर्व मलेरिया से होने वाले आसन्न खतरों, लक्षणों एवं बचाव तथा विष्व में एवं देवघर में इसकी अद्यतन स्थिति आदि के बारे में विस्तार से चर्चा किया गया. जिसमें स्कूल के बच्चों एवं षिक्षकों के बीच मलेरिया से होने वाले आसन्न खतरों की जानकारी देकर इससे सुरक्षा एवं बचाव हेतु विद्यार्थियों को जागरूकता किया गया तथा उन्हें बताया गया कि आपसभी इसके बारे में जानकारी लेकर जागरूक बनिये और अपने घर तथा आस-पास के गांव-मुहल्लों के लोगों को भी जागरूक करें. यह बीमारी मच्छरों के द्वारा फैलती है और ये मच्छर साफ तथा गंदे दोनों तरह के जमे/ठहरे हुए पानी में पनपते है. अतएव कहीं भी जल जमाव एवं गंदगी न होने दें. इसके लिए हमसबों को कृत संकल्प लेने की आवष्यकता है कि हमसे ही शुरू हो मलेरिया का अंत. इस कार्यक्रम के तहत रैली एवं क्विीज प्रतियोगिता आयोजित करते हुए बच्चों के बीच प्राईज वितरित किया गया तथा अन्य सभी बच्चों को षीतल पेय का वितरण स्वास्थ्य विभाग द्वारा किया गया.
जिला भी0बी0डी0 सलाहकार, डाॅ0 गणेष कुमार के द्वारा बताया गया कि मलेरिया के मच्छर एनोफिलीज प्रजाति के होते है तथा डेंगू/चिकुनगुनियां के मच्छर ऐडिस प्रजाति के होते है, ये दोनों तरह के मच्छर सप्ताह दिन के जमे/ठहरे हुए साफ पानी में अपने अण्डें देना पसंद करती है. वहीं फाईलेरिया एवं जापानीज इंसेफेलाईटीस फेलाने वाले मच्छर क्यूलेक्स प्रजाति के होते है, जो ठहरे हुए गंदे एवं सडे पानी में अपने अण्डे देना पसंद करती है. इनमें नर मच्छर फूल-पौधे के जूस पर निर्भर करते है एवं पूर्ण शाकाहारी प्रकृति के होते है. वहीं मादा मच्छर, जिनको अपने वंष की उत्पति करनी होती है और अण्डें देने होते है. जिसके पोषण के लिए इन्हें प्रोटीन की आवष्यकता होती है. जो मनुश्य के खून से इनके प्राप्त होता है. इसलिए मादा मच्छर हमसभी मनुष्यों के खून पीती हैं. यदि यह मादा मच्छर संक्रमित होती है, तो उपरोक्त बीमारियां अनायास ही फैला देती है. संक्रमित मादा एनोफिलीज मच्छर के शरीर में प्लाजमोडियम नामक परजीवी रहता है, जब ये किसी स्वस्थ्य मनुष्य को काटती है तो इसकी लार के साथ मनुष्य के शरीर में पहुँच जाता है और वह व्यक्ति मलेरिया से ग्रसित हो जाता है. जो अलग-अलग प्रजाति के आधार पर बीमारी फैलने में इस परजीवी को 07 से 40 दिन तक लग सकते है. जब ये परजीवी मनुष्य के शरीर में प्रवेष करती है तो 30 सेकेण्ड से 01 मिनट के अन्दर यह हमारे लीवर सेल में चला जाता है. जहां पर ये अपनी संख्या को बहुगुणित कर 10 से 15 दिनों के बाद हमारे लाल रक्त कणिकाओं में हमला करती है. तब हमें जाँच कराने पर मलेरिया होने की पुष्टि होती है. साथ ही हमें बुखार, सरदर्द, कपकपी, उल्टी आदि कि षिकायत होती है. तब हमें तुरंत जाँच एवं ईलाज कराये जाने की आवष्यकता है. मलेरिया परजीवी का पता सबसे पहले फ्रांसीसी सर्जन चाल्र्स लूइस अल्फोंसे लैवरेन ने साल 1980 में लगाया था. विश्व मलेरिया दिवस पहली बार 25 अप्रैल 2008 को मनाया गया. यूनिसेफ द्वारा इस दिन को मनाने का उद्देष्य मलेरिया जैसे रोग पर जनता का ध्यान केंद्रित करना था, जिससे हर साल लाखों लोग मरते हैं. इस मुद्दे पर विष्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि मलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम चलाने से बहुत सी जानें बचाई जा गई है. विदित हो कि हर साल शार्क मच्छली द्वारा 12 लोगों, भालू द्वारा 90 लोगों, मगरमच्छ द्वारा 800 लोगों, हिप्पो द्वारा 29000 लोगों और साँप द्वारा 90000 लोगों की मौतें होती है वहीं अफ्रीकन देष में मच्छर द्वारा प्रतिवर्ष 20 लाख लोग प्रभावित होते है, जिसमें से 06 लाख लोगों की मृत्यु हो जाती है. दुनिया भर में ऐसे 21.4 करोड़ मामलों की जानकारी हुई है, उनमें से 90 फिसदी मौते अकले अफ्रीका में हुई है. हमारे देष में वर्ष 2014 में 11 लाख मामले दर्ज हुई जिसमें 561 लोगों की मौत हुई है. WHO के अनुसार दुनिया में हर वर्ष करीब 50 करोड़ लोग पीडित होते है, जिनमें से करीब 27 लाख रोगी जीवित नहीं बच पाते है, जिनमें से आधे पांच साल से कम उम्र के बच्चे होते है और प्रति 02 मिनट में एक बच्चे की मौत मलेरिया से हो रही है. अतएव उपरोक्त आकड़ों को देखते हुए इसकी भयावहता का आंकलन किया जा सकता है कि यह कितना खतरनाक बीमारी है. इसमें खासकर गर्भवती माता एवं बच्चे को विशेष ध्यान दिये जाने की आवष्यकता है तथा गर्भवती माता को नियमित मलेरिया जाँच सभी ANC Checkup के दौरान कराया जाना चाहियें. मलेरिया से लड़कर हराना हमसभी का दायित्व है. झारखण्ड़ सरकार द्वारा वर्ष 2018 में मलेरिया को अधिसूचित बीमारी घोषित किया गया. जिसके निमित इस राज्य में किसी को भी यदि मलेरिया होती है तो इसकी तत्काल सूचना संबंधित जिले के विभाग अथवा सिविल सर्जन को दिया जाना आवष्यक है. ताकि संबंधित क्षेत्र में आवष्यक जांच एवं उपचारात्मक कार्रवाई त्वरित मलेरिया नियंत्रण विभाग द्वारा संपादित किया जा सके.
वर्ष 2014 में मलेरिया वैक्सीन को विकसित किया गया और पहली बार वर्ष 2018 में घाना, केनिया और मलाबी में 05 से 17 महीनों के बच्चों को यह वैक्सीन देना प्रारंभ किया गया. मलेरिया रोग इतना खतरनाक होते हुए भी इसका रोकथाम एवं ईलाज संभव है जिसे पूरे समाज के अंतिम व्यक्ति को मिलकर एक सार्थक प्रयास किये जाने की आवश्यकता है.
इसके लिए मच्छरों से बचना हीे सबसे सरल उपाय है. मलेरिया के मच्छर सूर्यास्त के बाद काटते है. अतएव शाम के समय अपने घर के दरवाजे-खिड़कियां बंद रखे अथवा जाली लगवायें एवं कीटनाशीयुक्त मच्छरदानी, मच्छररोधी अगबत्ती आदि शाम के समय ही लगा देना उचित होता है. ताकि मच्छर घर में प्रवेश ही न कर सके. इसके साथ आस-पास साफ-सफाई रखने एवं जल-जमाव से बचने हेतु जन जागरूकता किया गया. जल जमाव वाले क्षेत्रों से पानी को सूखा दिया जाय या उसमें कोई तेल डाल दिया जाय ताकि उसमें पनप रहे मच्छर के अण्डे/लार्वा आदि आॅक्सीजन की कमी से मर जाय. साथ ही यह भी बताया गया कि इस रोग का प्रभाव अप्रैल से शुरू हो जाता है. लेकिन जूलाई से नवम्बर के बीच में यह रोग अपने चरम पर होती है. यानि कि इसी दौरान लाखों रोग इसकी चपेट में आता है. चूँकि मलेरिया के परजीवी (प्लाजमोडियम), जो पांच प्रकार के होते है – प्लाजमोडियम फैल्सीफेरम, प्लाजमोडियम वाईवेक्स, प्लाजमोडियम मलेरी, प्लाजमोडियम ओवेल एवं प्लाजमोडियम नाॅलेसी , लाल रक्त (RBC) कोषिकाओं में पाये जाते है, इसलिए ये मलेरिया से संक्रमित मच्छर के अतिरिक्त संक्रमित व्यक्ति द्वारा भी ब्लड ट्रांसफ्यूजन के जरिये, अंग प्रत्यारोपन एवं एक ही सीरिंज का दो व्यक्तियों में इस्तेमाल करने से भी यह रोग फैल सकता है. चूँकि एक माह बाद मौनसून आनेवाला है, जिसमें जलजमाव से मच्छरों का प्रकोप बढ़ने की संभावना रहती है और मलेरिया के आसन्न खतरे से जान-माल की हानि होती है. इसलिए पूरे जन-समुदाय को विष्व मलेरिया दिवस के शुभ अवसर पर मलेरिया से होने वाले खतरों की जानकारी देकर इससे सुरक्षा एवं बचाव के प्रति जन-जागरूकता/प्रचार-प्रसार आदि कार्य शुरू करते हुए जारी रखने हेतु सबों से अपील की गई है.


इस वर्ष तीन देशों (भारत, श्रीलंका एवं बंगलादेश) के सार्थक प्रयास से विश्वकप के पहले ’’मच्छर मारो अभियान’’ प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है. मलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम के तहत समय-समय पर मलेरिया कीटनाषी छिड़काव (DDT-50% / SP-5%), कीटनाषीयुक्त मच्छरदानी (LLIN) का वितरण तथा जन-जागरूकता का कार्य एवं मतस्य विभाग द्वारा गम्बुसिया/गप्पी मछली का वितरणएवं नगर निगम/नगरपालिकाओं द्वारा फाॅगिंग तथा लार्वानाषी का छिड़काव आदि किया जाता रहता है. साथ ही सप्ताह में एक दिन सूखा दिवस मनाने का भी अपील किया गया. WHO के अनुसार देष की आबादी का 10 प्रतिशत आदमी प्रतिवर्ष बीमार होते है. जिसकों ध्यान में रखते हुए देवघर जिले में प्रतिमाह 26000 रक्तपटों का संग्रह कर जांच किये जाने का लक्ष्य रखा गया है. जिसके निमित वर्ष 2015 से अबतक लक्ष्य के अनुरूप रक्तपट संग्रह एवं जांच करने के उपरांत देखा गया है कि वर्ष 2015 में जहां 120 रोगी मलेरिया के धनात्मक (67Pf) पाये गये वहीं क्रमशः 2016 में 102 (49Pf, 2017 में 64 (13Pf, 2018 में 46 (05Pf एवं अबतक 2019 में कुल 03 (00Pf धनात्मक के रोगी पाये गये है. इसी तरह से पूरे दुनिया के 106 देशों में 3.3 बिलियन लोग में मलेरिया से प्रभावित होने का खतरा है. जबकि पूरे विष्व में मलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम चलाने से वर्ष 2010 से 2015 में इसका आकलन करने से पाया गया कि 21 प्रतिषत मलेरिया के Cases में तथा 29 प्रतिशत मलेरिया से मृत्यू की दर में कमी आयी है. जबकि सब-सहारान अफ्रीका में इसका अनुपात क्रमशः 21 प्रतिशत एवं 31 प्रतिशत कमी दर्ज की गई है.
अंत में बच्चों के बीच क्वीज प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. जिसमें प्रथम स्थान बिट्टु कुमार, वर्ग 10B द्वितीय स्थान दीपक कुमार, 10A तृतीय स्थान रिशु कुमार, 10D रहें. जिनकों जिला भी0बी0डी0 नियंत्रण कार्यक्रम, देवघर द्वारा क्रमषः प्राईज डाॅ0 सुधीर प्रसाद, स्कूल के प्राचार्य एवं शिक्षक श्री श्रीकांत जायसवाल द्वारा वितरित किया गया. साथ ही सांतावना पुरूस्कार पंकज कुमार को डाॅ0 गणेश कुमार द्वारा दिया गया. इसके उपरांत बच्चों के द्वारा जागरूकता रैली निकाली गई तथा श्री नीरज भगत, जिला कार्यक्रम प्रबंधक, देवघर द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम को संपन्न किया गया.
उपरोक्त कार्यक्रम में डाॅ0 सुधीर प्रसाद, प्रभारी सिविल सर्जन -सह- प्रभारी जिला भी0बी0डी0 पदाधिकारी, डाॅ0 शंकर प्रसाद सिंह, प्रभारी प्राचार्य, आर0 मित्रा $2 विद्यालय, श्री नीरज भगत, जिला कार्यक्रम प्रबंधक, डाॅ गणेश कुमार यादव, जिला भी0बी0डी0 सलाहकार, डाॅ मनीष शेखर, Epidemiologist, IDSP श्री श्रीकांत कुमार जायसवाल, सहायक शिक्षक, आर0 मित्रा $2 विद्यालय, श्री अजीत कुमार, फाईलेरिया निरीक्षक, श्री राजीव कुमार, डाटा प्रबंधक, IDSP श्री रवि सिन्हा, FLA, श्री कांग्रस मंडल, डाटा इंट्री आॅपरेटर, देवघर तथा स्वास्थ्य एवं शिक्षा विभाग के शिक्षकगण एवं कर्मचारीगण आदि उपस्थि थे.