देवघर : आज भी भारत में 498 दहेज़ वाले कानून में 90 प्रतिशत मामले फर्जी है ये सुप्रीम कोर्ट कहता है की महिलाओं ने परिवारों को परेशान करने के लिए मुकदमे किये। उन 90 प्रतिशत महिलाओं के लिए ये महिला दिवस नहीं है। कामकाज से लौटे हुए पुरषों को ताने उलाहने देकर उनकी जिंदगी नर्क बना देनी वाली महिलाओं का भी आज महिला दिवस नहीं है। आजादी के नाम पर उच्छश्रृंखता उद्दंडता और बड़े बुजुर्गों का अपमान और बदजुबानी करने वाली महिलाओं का भी आज महिला दिवस नहीं है। खुले आम पबो और बारों में बैठ कर सिगरेट बियर पीती हुयी गैरमर्दों के बाँहों में गिरी हुई महिलाओं का भी आज महिला दिवस नहीं है। क्योंकि ऐसे लोगों का कोई दिवस ही नहीं होता।

आज महिला दिवस उस माँ के लिए जिसने अपनी खुशियो की परवाह किये बिना परिवार के लिए समर्पित है और हँसते हुए बिना कुछ चाह लिए सबको ममता लुटा रही है। महिला दिवस उस पत्नी के लिए है जो हर दुःख परेशानी घडी में पति के साथ कंधे से कन्धा मिला कर चल रही है। महिला दिवस उस अकेली औरत के लिए है जो बच्चों के भविष्य के लिये अपने वर्तमान की परवाह किये बगैर जिंदगी से जद्दोजहद किये जा रही है। उस महिला के लिए है जो नैतिक संस्कारो और मूल्यों को कायम रखते हुए अपने सारगर्भित उद्देश्यों के लिए समाज की कुरीतियों से लड़ाई कर रही है। हर उस महिला के लिए है जो मूल्यों संस्कारो और परिवारों में सामंजस्य लेकर वसुधैव कुटुम्बकम में अपना योगदान दे रही हैं। सिर्फ ऐसी ही महिलाओं को ही अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामनाएं।