हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिवरात्रि आती है लेकिन हिन्‍दू कैलेंडर के अनुसार सावन की शिवरात्रि विशेष महत्व है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार हर साल अगस्‍त-सितंबर के महीने में सावन की शिवरात्रि मनाई जाती है। सावन महीने में आने वाली शिवरात्रि का खास महत्व है, इस दिन भक्त गण शिवालयों में शिव को जल अर्पित कर उन्हें प्रसन्न कर वरदान मांगते हैं तो आइए हम आपको सावन की शिवरात्रि के बारे में कुछ जानकारी देते हैं।
हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिवरात्रि आती है लेकिन हिन्‍दू कैलेंडर के अनुसार सावन की शिवरात्रि विशेष महत्व है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार हर साल अगस्‍त-सितंबर के महीने में सावन की शिवरात्रि मनाई जाती है। ऐसा माना जाता है कि फाल्‍गुन महीने में आने वाली महाशिवरात्रि के समान ही सावन शिवरात्रि भी फलदायी है। हिन्दू धर्म में माना जाता है कि भगवान शिव का दिन सोमवार है और सावन उनकी पूजा के लिए अच्छा महीना माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि सावन के महीने में भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश, कार्तिकेय, नंदी और अपने शिवगणों सहित पूरे महीने धरती पर रहते हैं। इसी कारण सावन की शिवरात्रि के दिन भगवान शंकर की खास पूजा की जाती है।
वैसे तो वर्ष भर में शिवरात्रि 12 से 13 बार आती है। यह तिथि पूर्णिमा से एक दिन पहले त्रयोदशी को आती है। इसमें दो शिवरात्रि विशेष है उनमें सावन तथा फाल्गुन शामिल हैं। इस शिवरात्रि को अन्य नामों से बुलाया जाता है जैसे कांवर यात्रा, त्रयोदशी, शिवतरेश, भोला उपवास और महाशिवरात्रि। सावन की शिवरात्रि को खास इसलिए भी माना जाता है क्योंकि इस दिन कांवर यात्रा सम्पन्न होती है। इस दिन हरिद्वार, गंगोत्री, गौमुख और सुल्तनागंज जैसे पवित्र स्थलों से गंगा जल भर कर भक्त अपने आसपास के स्थानीय शिवालयों में चढ़ाते हैं। यही नहीं देश भर में स्थित बारह ज्योर्तिलिंगों में भी जल अर्पित किए जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि सावन की शिवरात्रि के दिन जो भक्‍त शिव शंकर की पूजा करते हैं भगवान उनकी सभी कामनाएं पूरी करते हैं।
जानें पूजा की विधि

  1. सावन की शिवरात्रि को प्रातः उठकर स्नान से निवृत्त होकर साफ कपड़े धारण करें।
  2. मंदिर या शिवालय जाकर शिवलिंग के पास जाकर प्रार्थना करें और पंचामृत जो दूध, दही, 3. विशेष फल की प्राप्ति के लिए चने की दाल का इस्तेमाल करें।
  3. ऐसा माना जाता है कि सावन की शिवरात्रि पर भगवान शंकर को तिल चढ़ाने से पापों का नाश हो जाता है।
  4. घर में समृद्धि के लिए धतूरे के फूल या फल का भोग लगा सकते हैं।
  5. अब ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप करते हुए शिवलिंग पर बेल पत्र, फल-फूल चढ़ाएं।
    हिन्दू धर्म में ऐसा माना जाता है कि शिव जब जीव-जन्तुओं का संहार करते हैं, तो महाकाल बन जाते हैं, यही शिव महामृत्युंजय बनकर उन जीवों की रक्षा करते हैं तो शंकर बनकर जीव का भरण-पोषण भी करते हैं। यही योगियों के सूक्ष्मतत्व महारूद्र बनकर योगियों-साधकों जीवात्माओं के अंतस्थल में विराजते हैं और रूद्र बनकर महाविनाश लीला भी करते हैं। इन्ही महादेव की आराधना करने के लिए शिवरात्रि का पावन पर्व 30 जुलाई को मनाया जाता है।
    ऐसे करें अभिषेक
    शिवरात्रि के दिन सुबह जल्दी उठकर सबसे पहले स्नान करें। इसके बाद साफ कपड़े पहनकर मंदिर जाएं। मंदिर जाते समय जल, दूध, दही, शहद, घी, चीनी, इत्र, चंदन, केसर, भांग सभी को एक ही बर्तन में साथ ले जाएं और शिवलिंग का अभिषेक करें।
    लगाएं शिव को भोग
    शिव को गेहूं से बनी चीजें अर्पित करनी चाहिए। ऐसी मान्यता है कि ऐश्वर्य पाने के लिए शिव को मूंग का भोग लगाया जाना चाहिए। वहीं ये भी कहा जाता है कि मनचाहा जीवनसाथी पाने के लिए शिव को चने की दाल का भोग लगाया जाना चाहिए। शिव को तिल चढ़ाने की भी मान्यता है। कहा जाता है कि शिव को तिल चढ़ाने से पापों का नाश होता है।