देवघर : अंतर्राष्ट्रीय सिद्धाश्रम साधक परिवार एवं आध्यात्मिक मासिक पत्रिका ‘निखिल मंत्र विज्ञान’ के सौजन्य से बाबा बैद्यनाथ की पावन नगरी स्थित देवघर कॉलेज के प्रांगण में दो-दिवसीय ‘महाशिवरात्रि महोत्सव’ शिविर का शुभारंभ गुरुवार को हुआ। परमहंस स्वामी निखिलेश्वरनन्द जी (डॉ नारायण दत्त श्रीमाली) एवं माता भगवती की दिव्य छत्रछाया में आयोजित इस महोत्सव के प्रथम दिवस देश-विदेश से हजारों की संख्या में आये साधकों व शिष्यों को संबोधित करते हुए गुरुदेव श्री नन्दकिशोर श्रीमाली ने कहा कि ‘महाशिवरात्रि का या पावन पर्व शिव, गुरु और शक्ति के साथ स्वयं को जोड़ने का महापर्व है। निराशा में आशा का संचार करने के लिए ही बसंत ऋतु में महाशिवरात्रि का यह पावन पर्व हर वर्ष आता है, ताकि मनुष्य में शिव और शक्ति का जागरण सम्भव हो सके। शिव का तात्पर्य है विश्राम और शक्ति हैं गति। इस सृष्टि को शक्ति ही चला रही हैं।

शक्ति के पर्व वर्ष में चार बार आते हैं, लेकिन शिव और शक्ति के मिलन का पर्व सिर्फ एक बार आता है, जिसे हम महाशिवरात्रि कहते हैं। यदि जीवन में गति नहीं होगी तो यह जगत रुक जाएगा। शक्ति ही हमारी गति को जागृत रखती हैं। मनुष्य इस जगत में चल ही इसीलिए रहा है कि उसके अंदर भूख है। गति का अर्थ है- भूख। जहां गति है, वहां जगत है। हमारी भूख मिटाने का काम शक्ति ही करती हैं। इसीलिए भगवती की आराधना में हम प्रार्थना करते हैं – या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः। शक्ति के संयोग से ही हम उमापति, सीताराम या लक्ष्मी नारायण के रूप में पूजते हैं। उन्होंने कहा- यह दो दिन का जीना जीवन में आनंद का जीना है। आनंद ही परमानंद को बुलाता है और आनंद जहां जाता है, वहां से सारे दुख स्वयं भाग जाते हैं। यह कामना लिंग का क्षेत्र है।

बाबा बैद्यनाथ की नगरी है। जिस प्रकार शिव हमारे भीतर स्थित हैं, उसी प्रकार ज्ञान हमारे भीतर है। चेतना भी हमारे भीतर है, लेकिन गुरु आकर आपका परिचय उस ज्ञान से कराते हैं। इसीलिए माता पार्वती से देवाधिदेव शिव कहते हैं- संसार में मनुष्य स्वयं के अज्ञान के भंवर में दिशाहीन होकर घूमता रहता है। गुरु के कुछ शब्द कहने से जब स्व- प्रकाश आएगा तो वह ज्ञानमय हो जाता है और अज्ञान के भंवर से मुक्त हो जाता है। गुरु का नाम लेते ही उसकी सारी साधनाएं सिद्ध हो जाती हैं। गुरु के वचनों से जब स्वयं के प्रकाश का उदय हो जाता है तो मनुष्य मंगलमय मार्ग की ओर बढ़ जाता है। जब स्वयं का प्रकाश का उदय होता है, उसे ही ‘स्व-प्रकाश उदयन…’ कहा गया है।
उन्होंने कहा कि महाशिवरात्रि शिव और शक्ति के मिलन का पर्व है। इस महापर्व के अवसर पर हमें शौर्य के साथ जीवन में रस के प्रवाह को जागृत करना है। हमारी कामनाएं सिर्फ चार ही हैं-रूपं देहि, जयं देहि, यशो देहि, द्विषो जहि। माता भगवती, आप हमें रूप दें, आरोग्य दें, जीवन में हर क्षण विजय प्राप्त हो, यश प्राप्ति के साथ-साथ किसी के साथ कोई द्वेष ना हो। उन्होंने कहा कि शक्ति ने भी विश्राम अर्थात शिव को पाने के लिए तप किया, तभी उनकी कामना पूर्ण हुई। आप भी इस कामना लिंग बाबा बैद्यनाथ की नगरी में आए हैं। आपको शिव और शक्ति के आशीर्वाद से जीवन का निर्माण करना है। अपनी कमियों से ध्यान हटाकर खूबियों पर ले जाएं, सफलता आपके हाथ सुनिश्चित है।

देवघर जिला परिषद के उपाध्यक्ष संतोष पासवान गुरुदेव श्री श्रीमाली से आशीर्वाद प्राप्त करते।

जिप उपाध्यक्ष सहित हजारों ने लिया आशीर्वाद

इस अवसर पर देवघर जिला परिषद के उपाध्यक्ष संतोष पासवान सहित हजारों की संख्या में सड़कों ने ने गुरुदेव श्री श्रीमाली से आशीर्वाद प्राप्त किए। शिविर में झारखंड के विभिन्न जिलों के अलावे बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, हरियाणा, दिल्ली, पश्चिम बंगाल और अन्य प्रदेशों के अलावा साथ ही नेपाल, भूटान सहित विदेशों से भी हजारों की संख्या में साधक भाग ले रहे हैं और पूरा वातावरण शिव में बना हुआ है।