देवघर : देवघर सदियों से बुद्धिजीवियों की भूमि हैं। बाबा बैद्यनाथ की इस नगरी में अनगिनत बुद्धिजीवी पैदा हुए हैं। उनमें से एक थे हमारे पंडित विनोदानन्द झा। वे अविभाजित बिहार के मुख्यमंत्री थे। आज उनकी 120वीं जयंती मनाई जा रही है। अपने शहर के स्थानीय विवेकानंद शैक्षणिक, सांस्कृतिक एवं क्रीड़ा संस्थान के केंद्रीय अध्यक्ष डॉ. प्रदीप कुमार सिंह देव ने कहा- विनोदा बाबू आजादी की लड़ाई में सक्रिय रहे और स्वाधीनता आंदोलन को एक नई दिशा प्रदान की। अपने कार्यकाल में संताल परगना कास्तकारी अधिनियम को सशक्त बनाकर आदिवासियों के जल, जंगल और जमीन को बचाने का काम किया। वे शिक्षा और शिक्षक के प्रति सदैव जागरूक थे। वे विनोद दा बाबू बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे। वे आर्थिक ¨चतक थे और आधुनिक बिहार के निर्माता थे।

उन्होंने बिहार को एक नई दिशा प्रदान की। राज्य के विकास को लेकर वह हमेशा तत्पर रहते थे। गरीबों के शोषण के खिलाफ उन्होंने हमेशा संघर्ष किया। उनके कार्यकाल में राजनीति व उनकी कार्यप्रणाली उच्चस्तरीय थी। आज का माहौल घुटन पैदा करता है। आज के नेताओं की करनी व कथनी बिल्कुल अलग है। आज की राजनीति में भाषा का काफी पतन हुआ है। वे पंचायती राज व्यवस्था के पक्षधर थे। उन्होंने ईमानदार राजनीति की आधारशिला रखी, ताकि राजनीति में स्वच्छ वातावरण बने। उनकी कर्मभूमि देवघर ही नहीं बल्कि पूरे संथाल परगना का ग्रामीण इलाका था। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और विपक्ष नेता अटल बिहारी वाजपेयी ने भी संसद में उनके देश प्रेेम के बारे में उल्लेख किया था। आजादी के पूर्व देश को आजाद कराने की जुनून में लोगों ने अपना सबकुछ न्योछावर किया। उन्होंने आजादी से पूर्व यह भी नहीं सोचा था कि देश के आजाद होने के बाद वे विधायक या सांसद बनेंगे। लेकिन आज की पीढ़ी देश के लिए देना नहीं, लेना चाहती है। वे सदैव अमर रहेंगे।