पटना : राज्य में विश्व बैंक, केंद्र और राज्य सरकार की सहायता से चलाई जा रही ‘नीर निर्मल परियोजना’ समय से पीछे है। अब यह योजना निर्धारित लक्ष्य मार्च 2020 तक पूरा नहीं होगी, मार्च 2021 तक पूरा होने की उम्मीद है। लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग (पीएचईडी) ने केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय से अवधि विस्तार की मांग की है। राज्य सरकार ने इसे मार्च 2021 तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। लक्ष्य से पीछे चल रही इस योजना को लेकर विश्व बैंक अपनी नाराजगी जता चुका है।
2050 वार्ड में चलाई जा रही योजना
राज्य के 10 जिलों में नीर निर्मल योजना वर्ष 2014 में शुरु हुई और मार्च 2020 तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया। यह 2,050 वार्डों में चलाई जा रही है। इसका लाभ लगभग 24 लाख आबादी को मिलेगा। इस योजना को पूरी करने की जिम्मेदाररी लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग को दी गई है। विश्व बैंक संपोषित इस योजना के तहत एकल ग्रामीण योजना और बहुग्रामीण योजनाएं शामिल है।

योजना के लिए राशि का बंटवारा
परियोजना की कुल लागत 1606 करोड़ रुपए है। इसके लिए 50 फीसदी विश्व बैंक, 29.14 फीसदी केंद्र सरकार और 20.86 फीसदी राशि राज्य सरकार दे रही है। पहले इसमें स्थानीय लोगों को भी और 0.75 फीसदी अंश देना था, लेकिन बाद राज्य सरकार ने यह अंशदान भी सरकारी खजाने से देने का निर्णय लिया। योजना के लिए विश्व बैंक 803 करोड़, केंद्र सरकार 486 करोड़ व राज्य सरकार 323 करोड़ रुपए देगी।
इन जिलों में चल रही है योजना
यह योजना पटना, नालंदा, नवादा, मुजफ्फरपुर, सारण, पश्चिम चंपारण, बांका, मुंगेर, बेगूसराय और पूर्णिया जिलों के 2050 वार्डों में चलाई जा रही है। पीएचईडी मंत्री विनोद नारायण झा ने कहा कि राज्य सरकार ने नीर निर्मल योजना की अवधि विस्तार की मांग केंद्र से की है। लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग इसे मार्च 2021 तक पूरा कर देगा।