लातेहार/बद्री गुप्ता : महुआडाँड़ प्रखण्ड में महुआडाँड़ प्रकृति की गोद में बसा बहुत ही खुबसूरत कस्बा है साथ ही जिले का प्रखंड, जिसमें नेतरहाट भी हैं, महुआडाँड़ चारों तरफ पहाड़ों की श्रृंखलाओं की तराई पर बसा होने के कारण प्रखंड के कई पंचायतों और अनेकों गाँवों में बहुत सारी पहाड़ी नदी बहती है, कुछ नदी बरसात के साथ खत्म हो जाती है, तो कुछ नदी पुरे वर्ष जीवित रहती है, महुआडाँड़ के रामपुर नदी व नकटी नदी दोनों प्रमुख नदी है, जो निरंतर बहती रहती है, जहाँ सौकड़ो परिवार हर रोज नहाना एवं कपड़े धोते है, साथ ही नदी के किनारों पर गाँव के लोग के द्वारा मवेशी चराया जाता है, जिसके पानी की वयवस्था सिर्फ यही दो नदी है, मवेशी चरा रहे, तिफन उराॅव ने बताया, दिन प्रतिदिन समय के साथ नदी सुखाती जा रही है, 20 वर्ष से तीनों मौसम में नदी को देखता आया हूँ, वही कारण भी बताते हुए कहा लोगों के द्वारा कचरो का फेका जाना और कभी कभी तो मरे हुए जानवरों को भी फेक दिया जाता है, जिसकी दुर्गन्ध से हम लोगों को भी परेशानी होती है. जल ही जीवन का आधार है, बीते चार दशकों के दौरान समाज व सरकार ने कई परिभाषाएँ, मापदण्ड, योजनाएँ गढ़ीं कि नदियों को बचाया जाये, लेकिन विडम्बना है कि उतनी ही तेजी से पावनता और पानी नदियों से लुप्त होता रहा.

रामपुर और नकटी नदी महुआडाँड़, अम्वाटोली जैसे घनी आबादी वाले पंचायत की लाईफ लाईन कही जाती हैं, पर अब वह सुखती जा रही है, लोगों के द्वारा कचरो को फेंका जाना नदियों को प्रदूषित कर रहा है. साथ ही रामपुर नदी के पास बने पीएचडी विभाग द्वारा बनाया गया कुआँ का जल भी दूषित रहता है. इस कुआँ का पानी, रामपुर, महुआडाँड़ डीपाटोली के लोगों के घरों सप्लाई किया जा रहा है. लोग इस दूषित पानी पीने को मजबूर हैं. गर्मी के दिनों में अधिकतर लोग नदी में ही नहाने के लिए जाते हैं और उन्हें गंदे पानी के उपयोग से चर्मरोग भी हो रहा है. नदियों के सामने खड़े हो रहे संकट ने क्षेत्र के लिये भी चेतावनी का बिगुल बजा दिया है, जाहिर है कि बगैर जल के जीवन की कल्पना सम्भव नहीं है. हमारी नदियों के सामने मूलरूप से तीन तरह के संकट हैं – पानी की कमी, मिट्टी का आधिक्य और प्रदूषण. महुआडाँड़ का अधिकतर कचरा रामपुर नदी में फेंका जा रहा है. इससे नदी का पानी प्रदूषित हो रहा है. लेकिन पर्यावरण की इस बड़ी हानि को रोकने के लिए क्षेत्र के लोगों को जागरूक होने की जरुरत है, नदी, के अस्तित्व पर संकट पड़ता जा रहा है. नदी में गंदगी और पॉलिथिन से पानी तो दूषित हो रहे है. वहीं, इस पानी का उपयोग पक्षियों, मवेशियों व आम लोग जो इस पानी को पी रहे हैं जो उनके स्वास्थ्य के लिए घातक सिद्ध हो रहा है. महुआडाँड़ छेछाड़ी के अधिकांश गांवों में पानी के चश्मे व अन्य जल स्रोत सूखते जा रहे हैं.