देवघर : देश में कोरोना वायरस के मामलों में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। भारत में कोरोना वायरस का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है। भारत में कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए घोषित किए गए लॉकडाउन की अवधि 21 दिन बाद 14 अप्रैल को पूरी हो रही है। अब इसको 30 अप्रैल तक बढ़ाए जाने के संकेत मिल रहे हैं। इसको लेकर केंद्र सरकार ने सभी राज्यों से सलाह मांगी थी कि इसको आगे बढ़ाया जाए या नहीं। इस पर कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक खत्म हो गई है। माना जा रहा है कि पीएम मोदी इस बैठक के बाद देश को संबोधित कर सकते हैं। प्राप्त जानकारी के मुताबिक अब तक 11 में से 10 मुख्यमंत्रियों ने लॉकडाउन को बढ़ाने की सिफारिश की है। जिसमें राजस्थान, पंजाब, छत्तीसगढ़, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री शामिल हैं। मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक में पीएम मोदी ने कहा- मैं चौबीसों घंटों सातों दिन उपलब्ध हूँ। मुख्यमंत्री कभी भी बात कर सकते हैं और सुझाव दे सकते हैं। कंधे से कंधा मिला कर खड़े होना है। ऐसी परिस्थिति में देश के हर एक नागरिक प्रधानमंत्री के साथ हैं।

बिधु भूषण सरकार रोड निवासी, गृहिणी शिप्रा बणिक कहती हैं- लॉक डाउन खुलने के बाद भी हम संयमित रहने की चेष्टा करें।अभी भी हम पूर्ण सुरक्षित नहीं हैं, इस बात पर गहराई से सोचे और इस पर पहल करें। बिना कारण कहीं आना-जाना न करें। खुद को और अपने परिवार को सुरक्षित रखें। कोरोना से मुक्ति का एक ही उपाय है, सोशल डिस्टेंस को बनाये रखने में अपनी अहम भूमिका अदा करें। लॉक डाउन टूटने के बाद भी जबतक कोरोना मुक्त भारत की छवि सामने नहीं आती है, हमें धैर्यपूर्वक घर पर ही रहना उचित है। हम स्वयं को कर्मव्यस्तता में जोड़ दें।

होटल ज्योति रोड निवासी, गृहिणी समाप्ति मजूमदार कहती हैं-लॉक डाउन के बाद भी शहर से कुछ दिनों तक बाहर न जाएँ। दूसरे जिला या राज्य से आये हुए व्यक्तियों से आवश्यकता के बिना सम्पर्क न साधे। जन्मदिन हो या अन्य कोई पार्टी में सम्मिलित न हो, तो ही अच्छा होगा। जब तक विश्व स्वास्थ्य संगठन से यह जानकारी प्राप्त नहीं होती है कि देश कोरोना मुक्त हो गया, तबतक अपनी चाहत को कम करें। आपस में दूरी बनाकर ही सोशल डिस्टेंस के नियम का पालन करें। इस अवधि में बच्चों की पढ़ाई में उनकी सहायता कर अपना समय को व्यतीत कर रही हूँ।

एस. के.पी. विद्या विहार के सचिव डॉ. उमाकांत सिंह कहते हैं- लॉक डाउन की अवधि में विद्यालय के विद्यार्थियों को ऑन लाईन पढ़ाए जाने की व्यवस्था की जा रही है। सभी शिक्षक एवं अभिभावक अपने स्तर से बच्चों को पाठ्यक्रम से जोड़ने की चेष्टा कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा त्वरित कार्यवाही के कारण ही हम भारतवासी इस कोरोना संक्रमण से दूसरों देशों की तुलना में तुलनात्मक कम चिंतित हैं। समय के साथ हमें स्वयं को ढालने की आवश्यकता है। हर कुछ सम्भव है, सिर्फ तालिका में फेर बदल करने की जरूरत है।

गोल्डन हाइट्स स्कूल, गुरुग्राम, हरियाणा की शिक्षिका स्वागता दास कहती हैं- लॉक डाउन की इस अवधि में मैं विद्यार्थियों को परीक्षा की तैयारियाँ कैसे की जाये, के सन्दर्भ में जानकारी देने की चेष्टा कर रही हूँ। एग्ज़ाम से पहले अगर हम स्ट्रेस में होते हैं तो हमारे सोचने समझने की शक्ति कम हो जाती है l जब कि एग्जाम के दौरान हमारा उपस्थित बुद्धि चरम पर होना चाहिए l जो तभी हो सकता है जब हम शांत दिमाग से पेपर दें l इसलिए एग्जाम के दौरान हमे स्ट्रेस से कोसो दूर रहना चाहिए l विद्यार्थी भी इस लॉक डाउन में इसका महत्व समझने की चेष्टा कर रहे हैं।

स्थानीय बैद्यनाथ केशरवानी तरुण सभा के उपाध्यक्ष रितेश कुमार केशरी कहते हैं- लॉक डाउन की अवधि में हमारे माननीय सांसद डॉ. निशिकांत दूबे द्वारा हर जरूरतमंदों को सुविधायें पहुँचाया जा रही है, हम इस पुनीत कार्य में स्वयं को समर्पित करने की चेष्टा कर रहा हूँ। प्रत्येक व्यक्ति जीवन में किसी न किसी अवस्था में अवस्थित है। उसके लिए उसी अवस्थानुसार कर्म करना सबसे बड़ा कर्तव्य है। कोई भी कर्तव्य उच्च या निम्न नहीं होता। जरूरी यह देखना है कि उस कर्तव्य का पालन किस तरह किया जाता है। हम सांसद महोदय का दिशा-निर्देश पालन कर रहे हैं।

संकुलसेवी साधन, करौं सह जाने -माने उद्घोषक राकेश कुमार राय कहते हैं- हम सदैव सरकार के साथ हैं। लॉक डाउन की अवधि में परिवार के साथ समय व्यतीत कर रहा हूँ और कर्त्तव्य निभा रहा हूँ। जीवन की किसी भी अवस्था में कर्मफल पर आसक्ति रखे बिना यदि कर्तव्य उचित रूप से किया जाए तो आत्मिक शांति महसूस होती है। अनासक्त होकर एक स्वतंत्र व्यक्ति की तरह कार्य करना और समस्त कर्म भगवान को समर्पित कर देना ही असल में हमारा एक मात्र कर्तव्य है। हमें कोरोना से निजात पानी है। इस जंग को जीतने के लिए सदैव प्रधानमंत्री के साथ हैं।

यूटोपियन किडजोन, ए प्ले स्कूल, औरंगाबाद, महाराष्ट्र के निदेशक अभय श्रीवास्तव कहते हैं- पुस्तक बचपन से हमारी मित्र होती है। स्कूल की पढाई से लेकर कॉलेज तक किताबों से हमारा मित्रता का रिश्ता होता है। क, ख, ग से लेकर अल्फा बीटा तक कि पढ़ाई हम पुस्तकों के माध्यम से करते है। पुस्तक से हमारे मन का अंधकार दूर होता है। बच्चों को खासकर प्रेरणादायक कहानियों वाली किताबें पढ़नी चाहिए। इससे उनका चरित्र निर्माण होगा और उन्हें ईमानदारी की सीख मिलेगी। बच्चों को देशप्रेम का पाठ पुस्तक के माध्यम से देना भी श्रेस्ठ जरिया है। लॉक डाउन की अवधि में पुस्तक से दोस्ती कर ली है।

सा रे गा मा पा म्यूजिक एकेडेमी के निदेशिका राजनन्दिनी सिंह कहती हैं- संगीत सभी के जीवन में महान भूमिका निभाता है। यह हमें खाली समय में व्यस्त रखता है और हमारे जीवन को शान्त पूर्ण बनाता है। सुव्यवस्थित ध्वनि, जो रस की सृष्टि से उत्पन्न होती है, वह संगीत कहलाती है। संगीत के मोहन-सुर की मादकता का जीव जगत पर जो प्रभाव पड़ता है, वह किसी से छिपा नहीं है। संगीत हमारे जीवन में आन्तरिक और आवश्यक भूमिका निभाता है। संगीत विभिन्न प्रकार का होता है, जिनका हम अपनी आवश्यकता और जरूरत के अनुसार आनंद ले सकते हैं। लॉक डाउन की अवधि बढ़ती भी है, तो संगीत में अधिक समय बिताऊँगी।

देवघर जिला खेल प्राधिकरण के कोषाध्यक्ष धर्मेंद्र कुमार देव कहते हैं- शरीर, मन और आत्मा को नियंत्रित करने में योग मदद करता है। शरीर और मन को शांत करने के लिए यह शारीरिक और मानसिक अनुशासन का एक संतुलन बनाता है। यह तनाव और चिंता का प्रबंधन करने में भी सहायता करता है और आपको आराम से रहने में मदद करता है। योग आसन शक्ति, शरीर में लचीलेपन और आत्मविश्वास विकसित करने के लिए जाना जाता है। लॉक डाउन की अवधि में विद्यार्थी एवं अन्य लोग भी योग पर ध्यान दें, कम से कम व्यक्ति स्वस्थ तो रहेंगे।

भारती पुस्तक प्रतिष्ठान परिवार की सदस्या अनुपमा गुप्ता कहती हैं- भोजन मनुष्य की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण आधारभूत आवश्यकता है जिसके बिना कोई भी प्राणी जीवन की कल्पना नहीं कर सकता है। जीवन के प्रारंभ से जीवन के अंत तक शांत करने तथा शारीरिक विकास के लिये मनुष्य को भोजन की आवश्यकता होती है। भोजन की आदत तथा पर्यावरण जिसमें मनुष्य जीवनयापन करता है, ये घनिष्ट संबंध होता है जिसके लिये मनुष्य सर्वप्रथम स्वयं पर्यावरण से संबंध स्थापित करता है। लॉक डाउन की अवधि में पूरे परिवार के साथ स्वादिष्ट भोजन का आनन्द लें।

बतासपुर, पश्चिम बंगाल में पदस्थापित स्टेशन मास्टर प्रभाकर कापरी कहते हैं- जीवन में कर्म का महत्व सर्वविदित है, योगी कृष्ण ने तो यहाँ तक कहा कि मनुष्य का अधिकार केवल कर्म पर है , फल पर उसका अधिकार नही है। मनुष्य को अपना कर्म करना चाहिये और फल की इच्छा और चिंता नही करनी चाहिये। प्लेटो के विख्यात ग्रंथ ‘दि रिपब्लिक’के अत्यंत दीर्घ व्याख्यान का सार भी यही है कि हर मनुष्य को अपना काम करना चाहिये। पंच तंत्र की कथाओं में भी अपने काम के महत्व को बताया गया है।उपनिषदों में तो सत्कर्म की शिक्षा दी गयी है। लॉक डाउन की अवधि में आदमी कर्म पर ध्यान दें।

माँ तारा स्क्रीन प्रिंटर्स, बम्पास टाउन निवासी सुजीत घोष कहते हैं-लॉक डाउन के बाद भी हाथों को सिनेटाइजर से बार-बार साफ करें। स्कूटी या मोटर साइकिल चलाते समय दस्ताना अवश्य पहने। घर आते ही उसकी सफाई करें, साथ ही बाहर से आने के बाद स्नान भी करें। सफाई पर विशेष ध्यान दें एवं इसके महत्व को आसपास के लोगों को भी समझाएँ। हमें जंग जीतना है। कोरोना को जड़ से भगाना है।अपनी आदतों में सुधार लाएँ। लॉक डाउन टूटने के बाद भी कम से कम दो महीने संयमित रहें। हम जरूर जीतेंगे, बस सिर्फ धैर्य नहीं खोएँ।