बसंतराय । देश आजादी के बाद पहली बार गोड्डा बने विधानसभा को प्रथम विधायक देने वाली बसंतराय प्रखंड के सनौर गांव अब भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। मालूम हो कि जिस युग में आदमी हर एक चीज को डिजिटल से जोड़कर डिजिटल इंडिया का नाम देती है और डिजिटल इंडिया का सपना देखती है।
ऐसे में यदि प्रथम विधायक का गांव ही मूलभूत सुविधाओं से वंचित हो तो फिर डिजिटल इंडिया का पाठ कहीं ना कहीं झूठा साबित हो रही है।मालूम हो कि बसंतराय प्रखंड क्षेत्र के सनौर गांव जिसने गोड्डा को राजनीतिक और साहित्यिक जैसे मामले में अपनी कई उपलब्धियां देने का काम की है,वह गांव आज भी स्थानीय जनप्रतिनिधि और विभागीय प्रशासन के उदासीन रवैया के कारण कई टेबलों पर दर-दर भटकने को विवश है।


सनौर गांव के मध्य विद्यालय के पास से अंदर गांव जाने वाली मुख्य मार्ग हल्की सी बारिश में कीचड़मय हो जाती है,ऐसे में लोगों को दो पहिया वाहन से आने-जाने में फिसलन की तो परेशानी होती ही है, लोगों को पैदल भी चलना मुश्किल हो जाता है। आपको बता दें कि आजादी के बाद गोड्डा विधानसभा को प्रथम विधायक के रूप में स्वर्गीय बुद्धिनाथ झा “कैरव” के रूप प्रदान करने वाली जनप्रतिनिधि इसी सनौर गांव के धरती से मिला था, लेकिन इतने दिनों के बाद कई सरकारें बदली, शासन सत्ता बदली, प्रशासनिक व्यवस्था बदली, विभागीय पदाधिकारी बदले लेकिन इस गांव की तस्वीरें किसी ने भी नहीं बदल पाई।बरसात के दिनों में सनौरवासियों को सड़क पर निकलना मानो एक पहाड़ को तोड़ने जैसा काम लगने लगता है।


इस बाबत कई बार ग्रामीणों ने स्थानीय विधायक अमित मंडल से इस सड़क के बारे अनुशंसा भी की है, लेकिन हर बार विधायक के तरफ से सिर्फ नेताओं के तरह आश्वासन ही मिला है।इस आश्वासन के सिवा धरातल पर कुछ भी देखने को नहीं मिल पाया है। ऐसे में पुनः इस बार वर्षा से उत्पन्न हुई स्थिति के बाद ग्रामीणों ने जिला उपायुक्त एवं स्थानीय जनप्रतिनिधि का ध्यान आकृष्ट कराते हुए गांव में पक्की सड़क बनवाने की गुहार लगाई है।