नई दिल्ली : भारतीय रेलवे अपनी पार्सल सेवा को निजी हाथों में सौंपने की योजना पर काम कर रही है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत रेलवे बोर्ड ने सियालदह और मुंबई राजधानी ट्रेन में दिग्गज ई-कामर्स कंपनी अमेजन को पार्सल सर्विस देने का आदेश भी जारी कर दिया है। इसके एवज में अमेजन रेलवे को एक निर्धारित शुल्क देगा।
पायलट प्रोजेक्ट एक महीने के लिए शुरू किया गया है। एक महीने के बाद इसकी रिपोर्ट तैयार की जाएगी और यदि यह प्रोजेक्ट सफल रहा और आमदनी में बढ़ोतरी हुई तो देशभर में रेलवे की पार्सल सेवा के निजीकरण का विचार किया जा सकता है।
लोडिंग-अनलोडिंग वर्कर यूनियन नाराज
रेलवे के इस कदम से कर्मचारी संगठन नाराज हो गए हैं। भारतीय रेलवे लोडिंग-अनलोडिंग वर्कर यूनियन ने 31 जुलाई और 1 अगस्त पर हड़ताल पर भी जा सकते हैं। उन्हें आशंका है कि रेलवे के इस कदम से कई कर्मचारियों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है।
अमेजन को सिर्फ ढाई टन तक के पार्सल की ही अनुमति
मुंबई राजधानी (12952/12951) और सियालदह राजधानी (12314/12313) में गार्ड के डिब्बे के साथ लगने वाले एसएलआर (पार्सल वैगन) में ढाई टन पार्सल के परिवहन की अनुमति अमेजन इंडिया को दी गई है। एक एसएलआर की क्षमता चार टन होती है, जो अभी पूरी तरह से रेलवे के पास है। अब इन ट्रेनों में रेलवे मात्र डेढ़ टन सामान ही बुक कर सकेगा।
उत्तर रेलवे, पूर्व रेलवे और पश्चिम रेलवे को दिए गए आदेश
इस संबंध में रेलवे बोर्ड ने उत्तर रेलवे, पूर्व रेलवे और पश्चिम रेलवे को आदेश जारी कर दिया है। एलएचबी कोच वाली ट्रेनों में एसएलआर के दो कोच होते हैं। इसमें आगे वाला कोच ठेकेदार को लीज पर दिया जाता है। एक कोच रेलवे के पास होता है, उसमें भी अमेजन को हिस्सेदारी दी गई है।